दा ग्रेट हिमालय कॉलिंग….सातवां दिन
ऐतिहासिक मुरलीधर का मंदिर, नग्गर
The Great Himalayas Calling…Murlidhar Temple,Naggar, Himachal Pradesh
Day-07
The Great Himalayas Calling…Murlidhar Temple,Naggar, Himachal Pradesh
Day-07
Murlidhar tample naggar himachal |
इस सीरीज़ की पिछली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें: दा ग्रेट हिमालय कॉलिंग….पांचवां दिन, नग्गर
नग्गर हिमाचल का एक छोटा क़स्बा माना जा सकता है। यहां अनेक मंदिर हैं। नग्गर यहां बने दुर्ग नग्गर कैसल के लिए बहुत प्रसिद्ध है। जिसके बारे में आप मेरी पिछली पोस्ट में पहले ही विस्तार से पढ़ चुके है। नग्गर को मंदिरों का नगर भी कहा जाता है, क्योंकि यही एक ऐसा गांव है, जहां स्थानीय शैली से लेकर मध्ययुगीन पहाड़ी शिखर शैली के मंदिर मिलेंगे। जब हम कैसल से बाहर नग्गर घूमने निकले तो हमें सबसे पहले कैसल केमुख्य द्वार के सामने मंदिर मिला, इसका नाम नार सिंह देवता मंदिर था । हम थोड़ा आगे बढे तो गांव के बीचो-बीच गौरीशंकर का पाषाण मंदिर मिला। इस प्रकार के तीन और मंदिर भी नग्गर में मिलेंगे। एक मंदिर देवी भटन्ती का है तो दूसरा ‘ठाकुर ढावा’ है। गांव में ही देवी त्रिपुर सुन्दरी का मंदिर है।
Tripura Sundri Temple |
यह मंदिर हिडिम्बा मंदिर के समान पैगोडा शैली का है। इस प्रकार के मंदिरों की तीन से चार छतें होती हैं, जो नीचे से ऊपर की ओर क्रमश: छोटी होती चलती है और सबसे ऊपर कलश होता है। त्रिपुरा सुन्दरी पौराणिक देवी होते हुए भी इसे स्थानीय देवी-देवताओं के समान मान्यता है। देवी का अपना रथ और एक सुचारु तंत्र है। यहां मई मास में नग्गर में ‘षाढ़ी जाच’ नाम से एक बड़ा मेला लगता है जब आसपास के अनेक देवी-देवता सज-धज कर नग्गर आते हैं। इन मंदिरों के अलावा भी नग्गर में एक प्राचीन मंदिर है जिसका सम्बन्ध महाभारत काल से माना जाता है। यहां के लोग मानते हैं कि महाभारत के समय भगवान श्री कृष्ण यहां आए थे। इस मंदिर का नाम है-ऐतिहासिक मुरलीधर का मंदिर।
Murlidhar tample naggar himachal |
यहां पहुंचने के लिए नग्गर कैसल से थोड़ा आगे जाकर ऊपर जंगल से होकर रास्ता बना हुआ है। 20-30 मिनिट की ट्रेक्किंग के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। यह ट्रेकिंग आसान है। पाइन के ऊँचे-ऊँचे पेड़ों से ढका जंगल बहुत खूबसूरत लगता है। हमने बड़ी आसानी से इस चढ़ाई को लगभग तीस मिनट में पार कर लिया था. इस मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं, एक पैदल का रास्ता है दूसरा घूमकर आता है। उस रास्ते से शायद कार भी आ सकती है। हम जब ऊपर अहुंचे तो हमने मंदिर के बाहर एक कार खड़ी देखी। जिसे देख मुझे बहुत हैरानी हुई। एक पहाड़ की छोटी तक यह कार कैसे पहुंची? मालूम करने पर पता चला कि एक और रास्ता भी है जिसके ज़रिये गाड़ी भी लाई जा सकती है।
Shikhare style architecture |
हमने मंदिर के प्रांगण में एक रथ भी देखा, जिसका प्रयोग भगवान श्री कृष्ण की शोभा यात्रा के समय किया जाता है।इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण,राधा, पद्मसम्भव,लक्ष्मी नारायण और गरुण देवता की प्राचीन मूर्तियां स्थापित हैं। यहां हर वर्ष दशहरा बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर को कुल्लू के राज घराने का आश्रय प्राप्त था। यहीं पर कुल्लू का प्रसिद्ध दशहरा मनाया जाता है।
Temple Architecture |
मंदिर के पुरोहित जी ने हमारा स्वागत बड़ी आत्मीयता से किया। उन्होंने ही बताया कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। और इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। यहां जो भी मन्नत मांगों वह ज़रूर पूरी होती है। लोग दूर–दूर से यहां मन्नत मांगने आते हैं। इस मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है। आप जब नग्गर आएं तब यहां ज़रूर जाएं।
A very rear idol of 3 faces Lord Bramha at Murlidhar tample naggar himachal |
Purohit ji at Murlidhar tample naggar himachal |
इस सीरीज़ की अगली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें:
फिर मिलेंगे दोस्तों, अगले पड़ाव में हिमालय के कुछ अनछुए पहलुओं के साथ,
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी