My First Trip post lockdown

लॉक डाउन ने जैसे ज़िन्दगी की चाल ही बदल दी. 22 मई को जैसे पूरा देश जहाँ था वहां ठहर गया. एक अनदेखे अनजाने वायरस ने इंसान को इन्सान की हैसियत से रूबरू करवा दिया. ये लॉक डाउन जहाँ हमें घरों में क़ैद कर गया वहीँ कुछ सिखा भी गया. मैं एक ट्रेवलर जोकि हमेशा यात्राओं में ही रहती थी ज़िन्दगी में पहली बार इतने लम्बे समय के लिए घर में क़ैद होकर रह गई. जैसे तैसे तीन महीने काटे और जैसे ही लॉक डाउन खुला मैंने यात्रा शुरू की. शायद ये मेरी नैतिक ज़िम्मेदारी थी कि डर और दहशत के इस माहौल में जब हर इंसान घर में क़ैद है मेरा फ़र्ज़ बनता है कि यात्रा शुरू करूँ और देश की टूरिज्म इंडस्ट्री को फिर से खड़ा करने में योगदान दूँ.

आज सारा देश डर के साए में जी रहा है ऐसे में कब तक घरों में बंद रहा जाएगा. मुझे तो यह समझ आया कि हमें धीरे धीरे कोरोना के साथ जीना सीखना होगा. ये वायरस कहीं जाने वाला नहीं है. यह यहीं रहेगा हमारे बीच, हमारे साथ.

इसी सोच के साथ मैं निकल पड़ी मानसून का मज़ा लेने सतपुड़ा पर्वत श्रंखलाओं में बसे घने जंगलों में. मेरी यह यात्रा केवल एक यात्रा न होकर एक अवलोकन था.  कैसे बदलते हालातों के साथ किस प्रकार सामंजस्य स्थापित किया जाए.

मुझे देखना था कि कैसे ज़िन्दगी वापस पटरी पर दौड़ रही है. मेरी यात्रा के अंतिम पड़ाव में मैंने चुना नागपुर स्थित होटल प्राइड में मेरा एक रात का स्टे.

जहाँ महाराष्ट्र इस वायरस की चपेट में बुरी तरह से घिरा हुआ था. कितने ही ज़ोन थे जो रेड थे. ऐसे में किसी पांच सितारा होटल में कैसे गाइडलाइन्स फॉलो की जा रही हैं ये देखने वाली बात थी. ऐसा नहीं है कि इस से पहले मैं यहाँ आई नहीं थी. लेकिन इस बार बात अलग थी. थोड़ा डर मेरे मन में भी था. क्या सेफ होगा होटल में रुकना? क्या सेनेटाइज़ किया होगा सही से ? वगैरा वगैरा….

अगर देखा जाए तो होटल  प्राइड नागपुर में बड़ी ही सटीक लोकेशन पर स्थित है. एअरपोर्ट से मात्र पांच सौ

मीटर की दूरी पर स्थित यह होटल हर लिहाज़ से ट्रैवलर की पहली पसंद है. फिर चाहे वह लॉन्ग स्टे हो या फिर सुबह जल्दी फ्लाइट पकड़ने के लिए शोर्ट स्टे.

मैं होटल में देर शाम चेक इन करती हूँ. मेरा समान अच्छी तरह सेनेटाइज़ किया जाता है. मेरा टेम्परेचर लिया गया.

हमेशा की तरह चेक इन के दौरान मेरा पहचान पत्र नहीं माँगा गया. बल्कि मुझ से ईमेल पर चेक इन करवाया गया. जहाँ ID सॉफ्ट कॉपी में अपलोड की गई यानि जीरो कांटेक्ट.

उसके बाद मैंने अपने रूम में चेक इन किया. बहुत थकी होने के कारण मैं सिर्फ आराम करना चाहती थी. रूम में मेरे स्वागत में चोकलेट केक मेरा इंतजार कर रहा था वो भी एक पर्सनल नोट के साथ. ये बड़ा अच्छा स्टाइल है प्राइड होटल्स का. पर्सनलाइज्ड सर्विस में ये लोग बहुत ध्यान रखते हैं.

 

मैंने स्नैक्स आर्डर किये. मैं थोड़ा चिंतित थी कि रूम सर्विस क्या पहले की तरह ही होगी? क्या ये लोग जीरो टच का धयान रख रहे होंगे ? जब मेरा आर्डर आया तो मैंने बड़ी ध्यान से वेटर को ऊपर से नीचे तक देखा. उसने ग्लोव्स, फेस शील्ड और एप्रिन पहना हुआ था. मुझे तसल्ली हुई.

प्राइड होटल्स के शेफ मुगलाई बनाने में बड़े होशियार हैं. नॉन वेज प्लेटर के स्वाद के क्या कहने. नागपुर के खानों में मुगलों का प्रभाव खूब दिखाई देता है वहीँ उनके खानों में ठेठ महाराष्ट्रियन परंपरा भी खूब देखने को मिलती है. मैंने सुन रखा था. नागपुर के पारंपरिक खाने अलग स्वाद और रंग लिए होते हैं. इसलिए मैंने डिनर में शाहू चिकेन आर्डर किया. और जैसा सोचा था वैसा ही पाया.

मैंने सुकून से अपना डिनर एन्जॉय किया और चैन की नींद ली. अगली सुबह मुझे फ्लाइट लेकर दिल्ली वापस जो जाना था.

 

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