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कश्मीर की एक ख़ासियत है। आप श्रीनगर से किसी भी दिशा में निकल जाएं कुदरत के हसीन नज़ारे बाहें फैलाए आपका स्वागत करेंगे। जो भी लोग कश्मीर घूमने आते हैं वह श्रीनगर के बाद पहलगाम देखने भी ज़रूर जाते हैं। पहलगाम अनंतनाग ज़िले में पड़ता है। यह स्थान समुद्र तल से 72,000 फिट की ऊंचाई पर बसा है। श्रीनगर से पहलगाम जाने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता (National Highway-1A) झेलम नदी के किनारे किनारे चलता है और पम्पोर में केसर के खेतों के बीच  से होता हुआ अवन्तिपुरा के खंडहरों के पास से होकर पहलगाम जाता है । दूसरा रास्ता काकपोरा होते हुए जाता है। मेरी सलाह यह है कि आप जाते हुए पम्पोर वाले रास्ते से जाएं और वापसी में मटटन होते हुए श्रीनगर आएं। ऐसा करने से आप जाते हुए अवन्तिपुरा और एप्पल वैली देख पाएंगे और लौटे हुए मटटन का मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर भी देख सकेंगे। श्रीनगर और पहलगाम के बीच भी कई सारे ऐसे स्थान हैं जिन्हे कुछ देर ठहर कर देखा जा सकता है। आप कोशिश करें कि श्रीनगर से सुबह जल्दी निकलें। वरना आपका काफी समय ट्रैफिक में निकल जाएगा। 

 

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श्रीनगर की भीड़ भाड़ से निकल कर जैसे ही आप अनंतनाग की ओर बढ़ेंगे आपको दूर दूर तक फैले ढ़ालदार खेत नज़र आएंगे। अगर आप फ़रवरी के माह में जाएंगे तो इन खेतों में केसर के सजीले जमुनी फूल दिखेंगे, और साथ ही दिखेंगे खेतों में काम करते हुए कश्मीरी किसानों के परिवार। लेकिन आप अगर गर्मी के मौसम में जा रहे हैं तो यहां सिर्फ खेत ही नज़र आएंगे। 

हम धीरे धीरे आगे बढ़ते हैं. पाइन के ऊँचे ऊँचे पेड़ों से हवा के झोंके भीनी भीनी खुशबू लेकर आते हैं। लगभग तीस किलोमीटर की दूरी पर अवन्तिपुरा मंदिर के अवशेष पड़ते हैं। इस मंदिर का निर्माण राजा अवन्ति वर्मन ने सन् 855 से 883 ईस्वीं में करवाया था। राजा अवन्ति वर्मन का सम्बन्ध उत्पला राजवंश से था। 

 

यह एक विशाल शिव मंदिर है। लेकिन अब यह सिर्फ अवशेष रूप में ही बचा है। पुरातत्व विभाग ने यहाँ बने एक छोटे से पार्क का रखरखाव का ज़िम्मा लिया हुआ है। इस स्थान को देखने के लिए आपको 5 रूपए का टिकट भी लेना होगा। 

यहां से थोड़ा आगे जाने पर हम National Highway-1A छोड़ देंगे और एप्पल वैली की और मुड़ जाएंगे। यहां से शुरू होती है कश्मीर की कंट्री साईट। खेत खलिहानो में लहलहाते धान के पौधे और लकड़ी के बने घर।  यहां थोड़ा आगे जाने पर झींगुर की आवाज़ें सन्नाटे को तोड़ती हैं। यह आवाज़ें पहचान है अखरोट और एप्पल के बाग़ों की। 

 

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KK in Apple Orchid

 

यहाँ सड़क के दोनों और सेब के बाग़ हैं। यह पूरा क्षेत्र सेब की खेती के लिए जाना जाता है। आप गाड़ी रोक कर इन बाग़ों में जा भी सकते हैं। लेकिन सेब तोड़ नहीं सकते। इसके लिए जुर्माना भरना पड़ेगा। सेबों से लधे हुए पेड़ देखने में बहुत सुन्दर दीखते हैं। आप चाहें तो घर लेजाने के लिए यहां से सेब खरीद भी सकते हैं। 

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हमने काफी समय यहाँ बिताया और फिर पहलगाम के लिए आगे बढ़ गए। सड़क के चारों ओर अखरोट के पेड़ किसी मुस्तैद प्रहरी की तरह खड़े थे। हम एक के बाद एक गांव लांघते हुए पहलगाम की ओर बढ़ रहे थे। जहां अवन्तीपुरा तक झेलम नदी हमारे साथ साथ चल रही थी वहीँ पहलगाम पहुँचने पर लिद्दर नदी ने हमारा स्वागत किया। 

 

फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में हिमालय के किसी नए रंग के साथ,

 

तब तक खुश रहिये,और घूमते रहिये,

 

एक शेर मेरे जैसे घुमक्कड़ों को समर्पित

 

 “सैर कर दुनियाँ की ग़ाफ़िल ज़िन्दिगानी फिर कहाँ,

ज़िन्दिगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ”

 

 

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

 

 डा० कायनात क़ाज़ी

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