कश्मीर पहला दिन
एक सुरमई शाम डल झील के नाम…
Houseboats at Dalgate, Dal Lake |
हमारा होटल बुलावार्ड रोड पर ही था। बुलावार्ड रोड डल झील के सहारे सहारे चलता है। डल झील का विस्तार 18 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस झील के तीन तरफ पहाड़ हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर कश्मीर एक ताज है तो डल झील उस ताज में जड़ा नगीना है। ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि कोई कश्मीर देखने आए और डल झील देखे बिना वापस चला जाए। डल झील शुरू होती है डल गेट से। यहां पर झील थोड़ी पतली है और उसके किनारों पर कई सारे होटल बने हुए हैं। बुलावार्ड रोड पर क़तार से होटल बने हुए हैं और साथ ही एक भरा-पूरा मार्केट भी है। कश्मीरी हेन्डीक्राफ्ट से सजी हुई दुकानें बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं। डल गेट से शुरू होकर डल झील आगे जाकर एक विशाल जलराशि मे बदल जाती है। डल गेट से ही एक तरफ बुलावार्ड रोड और दूसरी तरफ क़तार मे फेली हाउस बोट पर्यटकों का स्वागत करती हैं। बुलावार्ड रोड पर ही थोड़ी-थोड़ी दूरी पर घाट बने हुए हैं, जहां से आप शिकारा लेकर डल मे शिकारा राइड के लिए जा सकते हैं।
KK@Shikara Ghat, Dal Lake |
हम ने हमारे होटल के सामने वाले घाट से शिकारा लिया। यहां मोल भाव करना ज़रूरी है। शिकारा वाले बहुत ज़्यादा पैसे मांगते हैं। अगर आप थोड़ा मोलभाव करेंगे तो फायदे मे रहेंगे। और फिर यह बात पूरे कश्मीर पर लागू होती है। सभी आपसे अनाप-शनाप पैसे मांगते हैं। इसलिए हमेशा मोलभाव करें। हम ने शिकारा राइड के लिए एक शिकारा तय की। यह शाम का वक़्त है। डल का माहौल सैलानियों की भीड़ से गुलज़ार है। ठंडी-ठंडी हवा चल रही है। पिछले कुछ सालों मे डल झील की सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह झील काफ़ी गहरी है। हमारे शिकारा को चलाने वाले का नाम गुलज़ार है। कश्मीरियों मे एक बात खास तौर पर महसूस की है मैने, यह सभी बहुत ज़्यादा बोलते हैं और बहुत कम सुनते हैं। बस अपनी अपनी कहते हैं।
Blue Hour at Dal Lake |
डल झील पर शाम उतर आई है। सूरज थक हर कर आराम करने की सोच रहा है। आसमान पर सिंदूरी लालिमा के साथ सुरमई अंधेरा छाने लगा है। इस सिंदूरी और सुरमई के बीच कहीं छितिज पर फालसेई रंग भी अपनी धनक छोड़ रहा है। लगता है आज क़ुदरत कलर पैलेट लेकर बैठी है और बड़ी लापरवाही से कूंची से आसमान में रंग भर रही है। यह नज़ारा सूरज छिपने से लेकर आसमान मे अंधेरा छाने के बीच चंद मिनटों मे सिमटा होता है। इस खूबसूरती को सिर्फ़ आंखों से भोगा जा सकता है। पानी की सतह से छूकर आती ठंडी हवाएं जब तन को छूती हैं तो एक अजीब सिहरन पैदा होती है। यह अहसास बहुत रोमांटिक है। यहां की हर चीज़ मे रोमांस है, प्रेम है, खूबसूरती है…. कितने ही नव विवाहित जोड़े डल झील में हाथों में हाथ थामे शिकारा राइड का आनंद लेते दिख जाते हैं।
Photo session on Shikara |
शिकारा मे घूमते हुए कई रोचक चीज़ें देखने को मिलती है। यहां पूरा का पूरा बाज़ार अपने नज़दीक घूम रहा होता है। कश्मीरी ड्रेस मे फोटो खींचने के लिए पूरा का पूरा फोटो स्टूडियो शिकारा मे ही चल रहा होता है। आप मात्र पांच मिनट मे कश्मीरी ड्रेस मे फोटो खिंचवा सकते हैं और जितनी देर मे आप अपनी राइड पूरी करके वापस आएंगे आपको आपकी तस्वीरों के प्रिंट तैयार मिलेंगे।
है ना मज़ेदार बात।
है ना मज़ेदार बात।
हमारी इस राइड मे फ्लोटिंग लिली देखना शामिल थे और गोल्डन लेक भी शामिल थी। मैंने गुलज़ार भाई से पूछा कि इस लेक को गोल्डन लेक क्यूं कहते हैं? तब उन्होने बताया की गोल्डन लेक को गोल्डन इसलिए कहा जाता है की जब सूरज ढलता है और रात घिर आती है तब इस लेक के तीन तरफ हाउस बोट से आती पीली रोशनियां लेक को गोल्डन बना देती हैं।
House boats at Golden Lake |
हम जब शिकारा राइड के आखरी पड़ाव गोल्डन लेक मे पहुंचे तो गुलज़ार भाई की बात सच निकली। यहां पानी पर तैरती पीली रोशनियों की छाया इसे वाक़ई गोल्डन बनाती हैं। मेरे तीन तरफ क़तार मे सजी हाउस बोट पीली रोशनियों में नहा रही थीं। इन हाउस बोट मे ठहरे सैलानी खुले आकाश तले दो हाउस बोट के बीच बने रेस्टोरेंट मे बैठे गर्म-गर्म चाय का मज़ा ले रहे थे। इन लोगों को चाय पीता देख हमे भी चाय की तलब हो आई। तो जनाब डल झील मे इसका भी इंतज़ाम है। यहां लेक के बीचों बीच एक छोटा सा फ्लोटिंग रेस्टोरेंट भी है। जहां से आप चाय पकोडे, चिप्स कोल्ड ड्रिंक आदि खरीद सकते हैं। डल झील मे शिकारा राइड करते हुए आप का मन अगर फ्रूटचाट खाने का करे तो उसका इंतज़ाम भी यहां मौजूद है। कोई शिकारा पर पूरा का पूरा फ्रूट चाट का स्टाल लिए आपकी तरफ चला आएगा। डल झील मे घूमते हुए आप शॉपिंग भी कर सकते हैं। डल झील के अंदर एक मीना बाज़ार भी है। यहां से कश्मीरी शाल और ज्वेलरी भी खरीद सकते हैं। यह पूरा का पूरा बाज़ार फ्लोटिंग है। इस बाज़ार का नाम मीना बाज़ार कैसे पड़ा इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है। मीना बाज़ार का ताल्लुक़ मुगलों से है। मुगलों के ज़माने मे, बेगमों के लिए जिस बाज़ार को सजाया जाता था उसका नाम मीना बाज़ार रखा जाता था। इस तरह के बाज़ार मे महिलाओं से जुड़े समान ही बेचे जाते थे। इन बाज़ारों की रोनक़ देखने लायक़ होती थी।
Night view of Dal Lake from Bulaward Road |
हमारी यह राइड मीना बाज़ार से होते हुए वापस घाट तक पहुंच कर ख़त्म हो गई थी। हमें डल झील मे घूमते हुए दो घंटे बीत गए थे, पर पता ही नही चला था। रात घिर आई थी और बुलावार्ड रोड पर सड़क के किनारे रोज़ लगने वाला बाज़ार सज चुका था। यहां आसपास के गांवों से आए हुए दस्तकार अपना सामान वाजिब दामों पर बेचते हैं। यहां लकड़ी पर नक़्क़ारशी से बने हुए सजावटी सामान खूब मिलते हैं। यहां पर पेपरमैशी से बने सजावट के सामान भी मिलते हैं। अगर यही सामान आप इम्पोरियम से ख़रीदेंगे तो यह आपको तिगुनी क़ीमत पर मिलेंगे, और अगर आप यह सामान इन दस्तकारों से खरीदेंगे तो इसका सीधा फायदा इन लोगों को होगा। मैंने यहां से पेपरमैशी से बनी घंटियां, छोटे-छोटे बॉक्स और कश्मीर की पहचान शिकारा खरीदे।
Chinar Leaf a symbol of Kashmir |
मैने ग़ौर किया की यहां की कला मे बेलबूटे, और खास तौर पर चिनार के पत्ते को खास तौर पर जगह दी जाती है। चिनार कश्मीर वादी की पहचान है। पूरे कश्मीर मे चिनार के पेड़ बहुतायत मे पाए जाते हैं। गर्मियों मे जहां यह सब्ज़ हरे रंग के होते हैं तो वहीं पतझड़ का मौसम आने पर यह हरे से पीले हो जाते हैं और सर्दी की आहट के साथ यह पीले से लाल हो जाते हैं। जब वादी मे ठंड बढ़ने लगती है और हरयाली धीरे-धीरे गायब होने लगती है तब यह चिनार के पेड़ लाल पत्तों से भर जाते हैं। लगता है जैसे वादी मे किसी ने आग लगा दी हो। कश्मीर वादी के यह रंग भी देखने लायक़ है। लगता है जैसे ऑटम का शेडकार्ड बिखेर दिया हो किसी ने। पीला,गाढ़ा पीला, नारंगी, लाल, कत्थई…सारे रंग एक ही फैमिली के। एक के बाद एक शेड गहराते हुए। पतझड़ के इन रंगों का साथ देने गर्मियों का नीला चमकीला आसमान भी मटमैला हो जाता है। वाह री क़ुदरत। तेरा हर रंग, हर रूप अनोखा है।
डल झील पर मेरी यह शाम हमेशा के लिए मेरी यादों में बस गई, पर अभी तो यह शुरुवात है ऐसे कितने और अनुभव होना बाक़ी हैं इस यात्रा में।
आज का दिन यहीं ख़त्म हुआ, कल देखने जाना है श्रीनगर के प्रसिद्ध मुग़ल गार्डन्स को।
तब तक के लिए खुश रहिये, घूमते रहिये।
और ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ.…
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी