कॉर्न फेस्टिवल नाम ही काफी है मेरे जैसे यायावर को दूर सतपुड़ा की हसीं वादियों में खींच लेजाने के लिए. आपने देश से प्रेम मुझे इस देश के अंचलों की ओर सदेव आकर्षित करता रहा है. फिर अगर वह ग्रामीण समाज से जुड़े सरोकार हों तो कहने ही क्या हैं. इसलिए कॉर्न फेस्टिवल के बुलावे को न नहीं कह सकी और चली आई हूँ छिंदवाड़ा. इन वादियों में, आदिवासी समाज से रूबरू होने, कुछ तीखा कुछ मीठा चखने.
मध्य प्रदेश छिंदवाड़ा का तीसरा बड़ा जिला जिले के पास लगभग 200 गांव है और एक सघन आबादी वाला वन क्षेत्र है जो सदा हरा भरा जाता है सतपुड़ा की पहाड़ियां जहां अनगिनत जंगली जानवरों का घर है कई बेहतरीन जैव विविधता के लिए जाने जाते हैं वही यहां की जो जमीन है उसमें भी भेजता की कोई कमी नहीं है। इस लेख में 40% जनसंख्या आदिवासी जनसंख्या है।
भोगोलिक दृष्टि से देखें तो छिंदवाड़ा जिले को मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है नागपुर क्षेत्र के पास के इलाकों में सौसर और पांढुर्णा तहसील शामिल हैं मध्य क्षेत्र में छिंदवाड़ा अमरवाड़ा क्षेत्र के दक्षिण भाग और सौसर के उत्तरी भाग क्षेत्र शामिल है यह क्षेत्र सतपुड़ा पर्वत क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है और तीसरा क्षेत्र जातर उत्तरी क्षेत्र में पहाड़ी इलाके पाए जाते हैं। छिंदवाड़ा को प्रकृति मां का सिम वरदान प्राप्त है हरे भरे जंगल यहां की मुख्य पहचान है और पहचान है इन जंगलों में रहने वाले आदिवासी जनजातीय समाज।
छिंदवाड़ा जिले में दिखाएं जनजातीय आबादी है। आदिवासी समुदायों में गोंड प्रधान भरिया कोर को शामिल है यहां के आदिवासी समाज मुख्य रूप से खेती से जुड़ा हुआ है।और इन लोगों द्वारा उगाई जाने वाली फसल में मक्का प्रथम स्थान पर आता है।
क लोकोत्सव है। इस शिविर के माध्यम से ना केवल किसानों को मक्का उत्पादन के लिए बेहतर तकनीक और वैज्ञानिक ज्ञान उपलब्ध करवाना साथ ही किसानी में उपयोग में आने वाले यंत्रों और तकनीकी जानकारी सहज सुलभ उपलब्ध करवाना शामिल है। प्रदेश के मुख्यमंत्री का यह सपना है छिंदवाड़ा विश्व मानचित्र पर कौन सिटी के रूप में स्थापित हो। प्रकार दूरदराज से लोग यूरोप में टमाटोलेना फेस्टिवल देखना चाहते हैं उसी प्रकार लोक छिंदवाड़ा कौन फेस्टिवल देखने आए।
छिंदवाड़ा के नजदीकी पातालकोट एक स्थान है जहां पर आदिवासी समाज रहता है यह समाज बाहरी दुनिया से बहुत ज्यादा जुड़ा हुआ नहीं है पातालकोट स्थान है वह स्थान वादियों के नीचे कितनी गहराई वाला स्थान है जहां पर जाने का कुछ वर्ष पहले सड़क मार्ग भी नहीं था हाल ही में लोगों को सड़क मिली बिजली मिली यह समाज एक फ्लोर सोसाइटी के रूप में रहता था अपने जीवन यापन के लिए सब चीज खुद ही होगा तथा कुछ साल पहले तक यह लोग ऊपरी इलाकों में रस्सी उसको पकड़ पकड़ कर आते थे और उनके आने का कारण होता था नमक खरीदना केवल नमक एक ऐसी चीज होती थी जिसे खरीदने दुनिया के लोगों के संपर्क में आना होता था उसके अलावा आते थे। इसी आदिवासी समाज ने आज बाहरी दुनिया के दरवाजे खुले हैं और उन दरवाजे को खोलने का जो मुख्य साधन है वह है स्वाद इस्कॉन फेस्टिवल में पातालकोट की रसोई ओसिया देवासी समाज के वादों को बाहरी दुनिया के लिए परोस रही है। इस रसोई में पत्तों पत्तों की प्लेट पत्तों के दोने हर चीज ऑर्गेनिक रूप से दिखाई देती है चूल्हे पर पति मक्के की रोटी मक्की का हलवा सब्जियां बढ़िया पकौड़ी या बड़े और न जाने क्या-क्या। आप एक बार इस गाने को खा लेंगे तो आप जीवन भर इस बात को याद रखेंगे या आने वाला हर इंसान उंगलियां चाट चाट कर खाने का स्वाद को इंजॉय कर रहा है।
फेस्टिवल के माध्यम से मुख्यमंत्री जी का प्रयास है की छिंदवाड़ा को अब समय आ गया है कि कौन पैदा करने से लेकर आपकी थाली के पहुंचने तक के जितने भी आयाम है उसका केंद्र बनाया जाए। अभी तक छिंदवाड़ा कौन पूरे भारत को और भारत के अलावा पड़ोसी देशों तक को एक्सपोर्ट करता है लेकिन बहुत जल्दी छिंदवाड़ा में फूड प्रोसेसिंग यूनिट भी देखने को मिलेंगी जिससे कौन से बने उत्पाद यहीं पैदा किए जाएंगे। इस काम को सफल बनाने के लिए छिंदवाड़ा के युद्ध को स्किल डेवलपमेंट सेंटर में तैयार किया जा रहा है। आपको मैं बता दूं छिंदवाड़ा की एक पहचान स्किल कैपिटल के रूप में भी दर्ज है। बड़ा भारत का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर 9 स्किल डेवलपमेंट सेंटर है।