Saputara Lake

SAPUTARA-Gujarat

हिल स्टेशन और गुजरात में?  सुनने मे आश्चर्य होता है ना। पर जनाब यही तो खास बात है हमारे देश की आप जितना देखेंगे उतना ही नया लगेगा। इस देश के कौने कौने मे ऐसे क़ीमती हीरे छुपे हुए है जिन्हें खोजने के लिए बस एक परखी नज़र और दिल मे अपने देश से मुहब्बत की दरकार है। आप किसी भी दिशा मे चले जाइए। मुझे पूरा भरोसा है कि आप खाली हाथ वापस नही आएँगे। हमारे देश मे हर मौसम के लिए डेस्टिनेशन मौजूद हैं। जहाँ गर्मियों मे पहाड़ों पर चमन बरसता है तो सर्दियों मे राजस्थान की सुनहरी रेत सेंक लगाती है। ऐसे मे बरसात का हरा भरा रंग देखना हो तो है ना पूरा का पूरा वेस्टर्न घाट। जोकि गुजरात से लेकर केरल तक देश के पश्चिमी सिरे पर पूरी आन बान और शान से अरब सागर से उठ कर आए मेघों को अपने घने जंगलों से पुकारता है। और ये मेघ भी मॉनसून बन वेस्टर्न घाट को ही नही पूरे देश को सराबोर कर देते हैं। आईए इस मॉनसून हम भी बारिश की इन बूँदों का पीछा करते हुए वेस्टर्न घाट के उदय स्थल गुजरात की ओर चल पड़ते हैं जहाँ पर मौजूद है गुजरात का एक मात्र हिल स्टेशन सापुतारा। बारिश का सुराग लगाते लगाते हमें और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा इस मॉनसून सीज़न।

यह जंगल घर हैं वर्ली, खुम्बी, भील और डांगी आदिवासी समाजों का। कहते हैं यह लोग 8वीं से 10वीं सताब्दी के दौरान यहाँ आकर बसे और यहीं के होकर रह गए। खुद को जंगलपुत्र कहने वाला यह समाज जंगलों से अथाह स्नेह रखता है। जिसका प्रभाव इनके जीवन के हर पहलु पर देखने को मिलता है। इन के वाद्य यंत्र भी बांस के बने होते हैं। इनके लोक नृत्यों में बांस के बने मुखोटों का प्रयोग किया जाता है। शरीर पर बने टैटू में भी पेड़ों की आकृति का उपयोग होता है।

मौसम

सापूतारा का तापमान गर्मियों में अधिकतम 32 डिग्री सेल्सियस से न्यूनतम27 डिग्री सेल्सियस तक ही जाता है जबकि सर्दियों में यह तापमान अधिकतम16 डिग्री सेल्सियस से  10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। और मॉनसून की तो बात ही निराली है।  यहां साल में औसतन 2500 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। इसी लिए यह हिलस्टेशन मानसून फेस्टिवल के लिए पर्फेक्ट माना जाता है।

मानसून फेस्टिवल

गुजरात का एक मात्र हिल स्टेशन सापूतारा जोकि डांग जिले मे पड़ता है। यहाँ 4 अगस्त से 3 सितम्बर तक पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मानसून फेस्टिवल मनाया जा रहा है। जहाँ क़ुदरत के नज़रों के साथ, गीत संगीत, लोक संस्कृति और एडवेंचर एक्टिविटी का पूरा बंदोबस्त गुजरात टूरिज्म द्वारा किया गया है। सापूतारा सहयाद्री पर्वतमाला के बीच बसा एक शांत और मनोरम हिल स्टेशन है। किसी ने सच ही कहा है। मंज़िल से ज़्यादा सफर सुहाना होता है। यह बात आपको सापूतारा के रास्ते देख कर सच जान पड़ेगी।

अगर आप अल्ट्रा लग्ज़री के दीवाने हैं तो यह जगह आपके लिए बिल्कुल भी नही है लेकिन आप प्रकृति को अपने शुध्द रूप मे एंजाय करना चाहते हैं तो यहाँ ज़रूर जाएँ।

सापूतारा हिल स्टेशन डांग जिले के जंगल क्षेत्र में स्थित है। यहाँ के जंगल मदहोश करने वाले हैं। टीक और बाँस के पेड़ों से भरी यह वन संपदा कभी अँग्रेज़ों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रही थी। ब्रिटिश हुकूमत इन जंगलों पर क़ब्ज़ा करना चाहती थी लेकिन यहाँ के आदिवासी लोगों ने उनका सपना साकार नही होने दिया। तब ब्रिटिश हुकूमत ने यहाँ के आदिवासी कबीले के मुख्य सरदार के साथ एक संधि की जिसके एवज़ मे ब्रिटिश हुकूमत इन जंगलों से क़ीमती टीक वुड हाँसिल कर सकी।

सापूतारा का इतिहास दूर भगवान राम के समय से भी जा मिलता है। यहाँ के लोगों की माने तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम अपने वनवास के दौरान एक लंबे समय तक यहाँ रुके थे। सापूतारा का मतलब है ‘नागों का वास’ ऐसा स्थान जहाँ नाग बस्ते हैं। और यह बात सच भी है। डांग के जंगलों में नागों की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं। यहाँ का डांगी आदिवासी समाज होली पर सर्पगंगा नदी के तट पर इन नागों की पूजा करता है।

सापूतारा लेक

सापूतारा को लेक सिटी भी कहा जाता है। इसका कारण है सापूतारा के बीचों बीच बनी एक सुंदर और मनोरम झील जोकि सैलानियों के आकर्षण का मुख्य कारण है। इस झील मे बोटिंग करने की व्यवस्था है। अच्छी बात यह है कि इस के लिए आपको बहुत पैसे नही खरचने है। मुनासिब दामों पर यहाँ बोटिंग की सेवाएँ सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं।

सापूतारा लेक गार्डेन

यहीं लेक के नज़दीक ही एक बेहद शांत और खूबसूरत उद्धान है सापूतारा लेक गार्डेन जहां पर बच्चों के मनोरंजन के लिए कई आकर्षण मौजूद हैं। यहाँ पर बहुत सुंदर पेड़ भी हैं जिन पर इस जंगल से आए सुंदर पक्षी भी देखने को मिलते हैं।

सापूतारा ट्राइबल म्यूज़ीयम

सापूतारा है तो गुजरात का भाग लेकिन महाराष्ट्र के नज़दीक होने के कारण इसके जीवन पर महाराष्ट्र की छाप भी देखने को मिलती है। यहाँ दो आदिवासी जातियाँ पाई जाती हैं। डांगी और वरली। इस संग्रहालय मे डांगी आदिवासी समाज के जीवन को विभिंन सामग्रियों द्वारा बड़े ही सुरुचि पूर्ण ढंग से दर्शाया गया है। इस संग्रहालय का टिकट मात्र पाँच रुपया है।

सनसेट पॉइंट

सापूतारा का मुख्य चार्म है यहाँ के हरयाली मे डूबे पठार और घाट। इन्हीं की खूबसूरती देखने लोग मॉनसून मे यहाँ खींचे चले आते हैं। इस पूरे स्थान को देखने के लिए कई पॉइंट बने हुए हैं जिसमे एक पॉइंट है सनसेट पॉइंट। शाम ढलते हुए यहा एक मेला सा लग जाता है। सभी लोग इन पहाड़ियों के पीछे सूरज को छिपता देखने जमा होते हैं।

टेबल पॉइंट

यह जगह पहाड़ी की उँचान पर बना एक समतल स्थान होने के कारण टेबल पॉइंट के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर बच्चों के लिए कई एक्टिविटी मोजूद हैं जैसे पोनी राइड, मिनी स्कूटर, झूले और खाने पीने के स्टॉल।

रोप वे

सापूतारा के आकर्षणों मे एक नया आकर्षण जुड़ा है यहाँ पर बना रोप वे। मात्र 40 रुपये खर्च कर आप सापूतारा की खूबसूरती को बर्ड आई व्यू से देख सकते हैं। यह रोप वे गवर्नर हिल पर जाने के रास्ते मे पड़ता है। इस जॉय राइड से आप सीधे सनसेट पॉइंट तक पहुँच सकते हैं। इस जॉय राइड से आप पूरे टाउन को ऊपर देख सकते हैं।  दूर तक फैले पठार और उन पर झुक आए बादल धूनी हुई रुई से जान पड़ते हैं।

टाउन व्यू पॉइंट

सापूतारा समुद्री उंचाई से लगभाग 1000 फीट की उंचाई पर स्थित है। इस की खूबसूरती देखने के लिए आपको टाउन से थोड़ा ऊपर जाना होगा जहाँ से पूरा सापूतारा एरिअल व्यू में दिखाई देता है। रिमझिम बरसते पानी के बीच इस चोटी तक पहुंचना भी एडवेंचर से भरा हुआ अनुभव है।

सनराइज़ पॉइंट

इको पॉइंट के नज़दीक ही है सनराइज़ पॉइंट यहाँ से सूर्योदय बहुत खूबसूरत नज़र आता है। आप जब सापूतारा जाएँ तो सुबह थोड़ा जल्दी उठ कर यहाँ से सूर्य देव के दर्शन ज़रूर करें।

इको प्वाइंट

सापूतारा मे एंटर करने से पहले ही एक पॉइंट पड़ता है जिसका नाम इको पॉइंट है। कहते हैं यहाँ खड़े होकर ज़ोर से चिल्लाने पर आपकी आवाज़ पहाड़ियों से टकरा कर इको करती है। यहाँ लोग सेल्फी भी खिंचवाते हैं। आप भी ट्राई कीजिएगा मगर सावधानी के साथ।

फोरेस्ट लॉग हट
डांग के जंगलों में हैं तो यहाँ बने लॉग हट में एक दिन के लिए रुक कर ज़रूर देखें। इन लॉग हट में रुक कर आपको जंगल में रहने की फीलिंग ज़रूर आएगी। यह लॉग हट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा बनाए गए हैं। लकड़ी के बने यह खूबसूरत आशियाने आपको ज़रूर पसंद आएंगे। यह लॉग हट लेक गार्डन के पास बने हुए हैं। आपको यहाँ रुकने के लिए अहवा में बने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के कार्यालय से परमिशन लेनी होगी। यह लॉग हट वुडेन आर्किटेक्चर में बनी एक शानदार संरचना है जोकि आपको बीते ज़माने की याद दिला देगी। लॉग हट सापूतारा के सबसे ऊँचे स्थान पर बनी हुई हैं जहाँ से लेक का व्यू बहुत ही शानदार नज़र आता है।
हनी बीस सेंटर

क्यूंकि आप जंगल की सैर पर निकले हैं तो जंगल की सौगात से रूबरू होना तो बनता ही है। ऐसे में हनी बी सेंटर देखने ज़रूर जाएं। यहाँ प्राकृतिक रूप से शहद बनाने की प्रक्रिया से थोड़ी जान पहचान कीजिए। आप चाहें तो यहाँ से शुद्ध शहद खरीद भी सकते हैं।

नागेश्वर महादेव मंदिर

सापूतारा धरती है नागों की। इसका प्रमाण यहाँ स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर से भी मिलता है। यहाँ के आदिवासी समाज में इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। हिन्दू धर्म के अनुसार नागेश्वर महाराज नागों का ईश्वर होता है। यह विष आदि से बचाव का सांकेतिक भी है। नाग पंचमी के दिन इस मंदिर पर श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ जुटती है।

सापूतारा अड्वेंचर पार्क

युवाओं के लिए गवर्नर हिल पर सनसेट पोइंट के पास बना है सापूतारा अड्वेंचर पार्क। यह अड्वेंचर पार्क सुबह आठ बजे से शाम 6 बजे तक अड्वेंचर एक्टिविटी उपलब्ध करवाता है। यहाँ रॉक क्लाइंबिंग से लेकर ज़िप लाइनर ज़ोर्बिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटी का आनंद ले सकते हैं।

इस जगह तक पहुँचने के लिए आपको टेबल पॉइंट तक जाना होगा। टेबल पॉइंट के नज़दीक ही सापूतारा अड्वेंचर पार्क है। यहाँ पर पैराग्लाइडिंग भी की जाती है लेकिन लेकिन बारिश मे पैराग्लाइडिंग नही होती।

गंधरवपुरा सापूतारा आर्टिस्ट विलेज

यह जगह उन लोगो के लिए बेहद ही खास है जो कला प्रेमी हैं। यह पूरा गांव सुंदर कलाकृतियों से युक्‍त एक झरोखा है जोकि कला के द्वार प्रकृति में खोलता है। यहाँ आए दिन पेंटिंग से जुड़ी कार्यशालाओं का आयोजन होता है। इस विलेज को चंद्रकांत परमार और सूर्या गोस्वामी चलाते हैं। यहाँ स्कूल के बच्चे प्रकृति के नज़दीक रह कर अपनी कला को निखारते हैं।

जहां आने वाले लोग न केवल कलाकृतियों का आनंद उठा सकते हैं, बल्कि खरीद सकते हैं। आप चाहे तो यहां की कुछ कारीगरी पर हाथ भी आजमा सकते हैं।

झरनों का जहान

अगर मैं यह कहूँ कि सापूतारा के आस-पास प्रकृति ने जैसे झरनों का एक जहाँ बसा रखा है तो क्या आप मानेंगे? जी हां, यह सच है। सापूतारा डांग जंगलों मे बसा है। इस जंगल को टीक और बाँस के सदा हारे भरे रहने वाले वनों ने सजाया है तो इस स्थान पर तीन नादियां बहती हैं जिन्होने अपने जल से सँवारा भी है। इसी लिए यहाँ कई नयना-भिराम झरने देखने को मिलते हैं। बस ज़रूरत है उस परखी नज़र और थोड़ी सी ट्रैकिंग की। अपनी शू लेस बांधिए और निकल पाड़िए इन झरनों की तलाश मे। पूर्णा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी मे अनेक खूबसूरत वॉटरफॉल छुपे हुए हैं। आप जब सापूतारा से निकलें तो पहले बरडा वॉटरफॉल जाएं फिर छिचकुंद वॉटरफॉल देखने जाएँ।

छिचकुंद वॉटरफॉल

छिचकुंद वॉटरफॉल डांग ज़िले मे पड़ता है जिसकी दूरी सापूतारा से 80किलोमीटर है। घने जंगल मे बना यह खूबसूरत वॉटरफॉल तक पहुँचना थोड़ा कठिन है इसके लिए आपको थोड़ी ट्रकिंग करनी होगी। लेकिन यहाँ पहुँच कर आपकी मेहनत वसूल हो जाएगी। बरसातों मे इस जगह की खूबसूरती देखने लायक़ होती है।

गिरमल वॉटरफॉल

डांग जिले के सुबीर गाँव से मात्र 7-8 किलोमीटर दूर है गिरमल वॉटरफॉल। बारिश मे इसकी खूबसूरती देखने लायक़ है। इस वॉटरफॉल की सुंदरता नीचे से देखने में ज़्यादा नज़र आती है। जिसे देखने के लिए गिरमल वॉटरफॉल से700 मीटर पहले एक कट है जहाँ से आप इस वॉटरफॉल के गिरने के स्थान के नज़दीक जा सकते हैं। बरसात मे इस मे पानी का बहाव बहुत तेज़ होता है इसलिए पानी के बहुत नज़दीक जाने से बचें।

बरडा वॉटरफॉल

इस वॉटरफॉल को 12 स्टेप वाला वॉटरफॉल भी कहा जाता है। यह जगह आह्वा-महल रोड पर चनखल गाँव के नज़दीक पड़ती है। इस वॉटरफॉल तक जाने के लिए आपको 30 मिनिट तक ट्रेक करके जंगल मे भीतर जाना होगा। यहाँ तक कम ही लोग आते हैं इसलिए इस वॉटरफॉल की नैसर्गिकता अभी तक जास की तस बरक़रार है।

गिरा वॉटरफॉल्स

गिरा वॉटरफॉल सापूतारा से पचास किलोमीटर की दूरी पर अंबिका नदी पर बहता है। कहते हैं इस वॉटरफॉल की ऊंचान

30 मीटर है। घने जंगल के बीच पूरे वेग से बहता यह वॉटरफॉल बहुत शानदार लगता है। गिरा वॉटरफॉल वाघई है जिले मे पड़ता है।

महल ईको टूरिज्म

अगर आप नेचर लवर हैं तो आप पूर्णा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के बीच कुछ दिन जंगल के बीच गुज़ार सकते हैं। यहाँ पूर्णा नदी के तट पर ईको टूरिज्म को बड़ावा देने के लिए सैलानियों के रहने की व्यवस्था भी की गई है। यहाँ रहते हुए आप न सिर्फ़ जंगल का आनंद उठा सकते हैं बल्कि ट्रेकिंग का मज़ा भी ले सकते हैं। बस यहाँ रहने के कुछ क़ायदे हैं जिन्हें आपको मानना होगा। प्रकृति का सुख भोगने के लिए आपको प्रकृति मां का सम्मान करना होगा। जिसकी पूरी जानकारी आपको यहाँ पहुँच कर ओरियेंटेशन सेंटर मे मिल जाएगी। यहाँ आकर आप लुग्ज़ारी कॉटेज के अलावा कैंपिंग का आनंद भी ले सकते हैं।

पूर्णा वाइल्डलाइफ सेंचुरी

जंगल का मतलब सिर्फ़ जंगली जानवरों के रहने की जगह ही नही होती बल्कि वो जादूई अहसास भी है जिसको आप यहाँ आए बिना महसूस ही नही कर सकते। जंगल में एक महक होती है। एक लय होती है। कल-कल बहते पानी की सुरीली तान होती है। टीक और बाँस के घने पेड़ों से बना यह जंगल बेहद हसीन है।

पूर्णा वाइल्डलाइफ सेंचुरी को राष्ट्र उद्यान का दर्जा सन् 1990 मे मिला। यह संचुरी गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक फैली हुई है। इस संचुरी के बीचों बीच से बहती है पूर्णा नदी जिसके नाम पर ही इस संचुरी का नाम पड़ा।

वेस्टर्न घाट मे बसी इस संचुरी को प्रकृति  ने 700 प्रकार की वनस्पति की प्रजातियों से नवाज़ा है। यह ट्रॉपिकल फोरेस्ट एरिया है। जहाँ पर गुजरात राज्य की सबसे ज़्यादा वर्षा रिकॉर्ड की जाती है। औसतन 2500 मिलीमीटर बारिश यहाँ दर्ज हो चुकी है। इसी लिए इस जगह को गुजरात का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहाँ अनेक प्रकार के जंगली जीव जन्तु भी पाए जाते हैं। जैसेतेंदुए, रीसस मैकक, बोनेट मैकक, आम मोंगोज़, भारतीय सिवेट बिल्ली, भारतीय पोर्क्यूपिन, चार सींग वाले एंटीलोप, भौंकने वाले हिरण, सांभर, चीतल और जंगल बिल्ली आदि

अगर आप पक्षियों के शौक़ीन हैं तो आपको यहाँ कई सुन्दर पक्षी देखने को मिलेंगे जैसे  कामन ग्रे हॉर्नबिल्स, ग्रे जंगल फाउल, बरबेट्स, वुडपेकर्स, श्रीकेस,लेअफबीर्ड्स, बी-ईटर्स, फ्लिकॅच्स, फोरेस्ट ओवलेट्स और  रॅपटर्स आदि

फूड

सापूतारा मे आप गुजराती खानों के साथ साथ महाराष्ट्री खानों का भी आनंद ले सकते हैं। मॉनसून मे इस हिल स्टेशन तक पहुँचने के रास्तों पर गरमा गरम भुट्टो का आनंद ज़रूर लें। यहाँ कच्चे आम और अमरख पर मसाला लगा कर चटपटी चाट बेची जाती है।

यहाँ का मिसल पाओ और वडा पाव बहुत मशहूर है। आपको मौक़ा लगे तो यहाँ के लोकल लोगों द्वारा बनाया गए भोजन को ज़रूर चखें।

कैसे पहुंचे

सापूतारा का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वघई है जोकि सापूतारा से करीबन50 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्टेशन से पर्यटकों को मुंबई दिल्ली बाकि और भी जगहों के लिए आसानी से ट्रेन मिलती है। सापूतारा मुंबई से250 किमी की दूरी पर स्थित है तो सूरत से सापूतारा की दूरी 160 किमी है।

 

 

 

 

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