-women empowermentFemale Articians of Rural India-©Kaynat Kazi Photography-www.rahagiri.com (16 of 27)

हुनरमंद महिलाओं के संघर्ष की दास्ताँ – सरस मेला-2017

हर साल दिल्ली में आयोजित ट्रेड फेयर में देश दुनिया से आए हुनरमंदों की कला के दर्शन होते ही हैं लेकिन इस बार कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी चर्चा किये बिना नहीं रहा जा सकता है। अलग-अलग राज्यों के पेवेलियन के बीच मुस्कुराते स्टॉल सरस मेला 2017 का हिस्सा हैं। इन स्टॉल की ख़ासियत यह है कि इनको चलाने वाला कोई पुरुष नहीं है बल्कि देश के कोने कोने से आई वो हुनरमंद महिलाएं हैं जो दुश्वारियों की एक लम्बी यात्रा तय कर आज यहाँ तक पहुँच पाई हैं।

यहाँ हर स्टॉल कुछ कहता है। हर स्टॉल की एक कहानी है। मेले में घूमते हुए मेरी नज़र एक स्टॉल पर ठहरीयह स्टॉल थी किसान चाची की। नाम कुछ रोचक लगा तो ठहर कर जायज़ा लेने लगी। स्टॉल पर लगी तस्वीरें “किसान चाची” की कहानी ब्यान करती थीं। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से लेकर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक किसान चाची की लगन और मेहनत के क़ायल हो चुके हैं। जिज्ञासा और बढ़ी तो स्टॉल पर अपने हाथों से बने अचार को बेचने में बिज़ी चाची से पूछे बिना न रह सकी। किसान चाची का असली नाम लक्ष्मी है। बिहार के एक छोटे से गांव में अपनी छोटे से खेत में परिवार के साथ तम्बाकू उगाया करती थीं। लेकिन फसल न होने के दिनों में परिवार परेशानी में आ जाता। लक्ष्मी को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिलानी थी और पैसों का आभाव। ऐसा ही हाल आसपास की महिलाओं का भी था। तो सोचा कि मिलजुल कर कुछ ऐसा किया जाए जिसमें सभी महिलाऐं योगदान दे सकें।

Tasting pickle made by Kisan Chachi

इस तरह अचार बनाने का विचार आया और साथ आई जीवन में खुशहाली। महिलाओं के छोटे से एक समूह ने सब्ज़ियां उगाने से लेकर अचार बनाने तक का काम कर डाला। और इसमें क़दम क़दम पर उनका साथ दिया ग्रामीण विकास मंत्रालय। गरीब बेसहारा महिलाओं को वित्त उपलब्ध करवाने से लेकर तकनीकी ट्रेनिंग और बाजार तक उपलब्ध करवाया। किसान चाची किसी समय साईकिल पर अचार बेचा करती थीं आज उनका बनाया अचार ऑनलाइन ख़रीदा जासकता हैं।

Art from Bengal-Katha Stich by Ms.Sarina Bibi

यहाँ देश के कोने कोने से आई प्रतिभाएं देखने को मिलती हैं। कश्मीर की कशीदाकारीतमिलनाडु की लकड़ी पर उकेरी गई पौराणिक नक्काशीकलमकारीउत्तर पूर्वी राज्यों के हैंडलूमराजस्थान के गांवों में बने रंगों से सजे मैट और न जाने क्या क्या।

Tilla Jutti making by Ms.Pinki Village Bhiwadi Haryana

देश भर मे आयोजित होने वाले सरस मेले भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की अनूठी पहल है जिसमें गाँवों की ग़रीब महिलाओं के हस्तशिल्प के हुनर को बाज़ार उपलब्ध कराया जाता है।

बिचौलियों के चंगुल मे आम ग्रामीण औरत ना फँस जाये इसके लिए सीधे तौर पर मंत्रालय देश के बड़े शहरों मे मुफ़्त मे इन हुनरमद महिलाओं को न केवल बाज़ार की सुविधा उपलब्ध कराता है बल्कि उनके आवास व खाने पीने की व्यवस्था भी करता है ताकि ये महिलाएँ समाज मे स्वाभिमान के सांथ जी सके। आम तौर स्वयं सहायता समूहों मे विधवा ग़रीब या किसी हादसे की शिकार महिलाएँ होती है।

 

दीन दयाल अनतोदय योजना की प्रमुख व ग्रामीण विकास मंत्रालय की निदेशक अनीता होलकर बघेल ने बताया कि हमारा मंत्रालय इन ग़रीब महिलाओं के जीवन को सम्पन्न बनाने व इनको अपने पाँवों पर खड़े करने के लिए प्रतिबद्ध है हम इन महिलाओं को नई नई तकनीकों का प्रशिक्षण दे रहा है।

 

 

Tribal Art from Chattisgarh

कई महिलाओं ने बातचीत मे कहा कि सरस मेलों ने उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने मे मदद की है।

मेले में घूमते हुए मुझे एक से एक प्रेरणादायक कहानियां सुनने को मिलीं। हरयाणा से आई पूजा परिवार और बच्चों के लिए कुछ करना चाहती थीं लेकिन गांव का माहौल ऐसा था कि घर से बाहर निकलने की इजाज़त न थी। पर पूजा की लगन सच्ची थी तो वह महिलाओं के इस समूह से जुड़ीं। पर पास कोई ख़ास हुनर नहीं था लेकिन कुछ करने की लगन थी। गांव के परिवेश में पली बड़ी पूजा ने गेंहूंबाजरा और सोयाबीन की खेती ही होते देखी थी तो सोचा इस से ही कुछ बनाया जाए और पूजा ने रोस्टेड हेल्दी स्नेक्स की पूरी की पूरी श्रंखला तैयार कर डाली। 10 महिलाओं का यह समूह गांव के अनोखे स्वाद जैसे बाजरे के लड्डूखिचड़ी को पूरे देश को चखा रहे हैं। आज पूजा खुश हैं और चहकते हुए अपनी यात्रा के बारे में बताती हैं। वह समय समय पर खाद्य संरक्षण विभाग द्वारा आयोजित फ़ूड प्रोसेसिंग से सम्बंधित वर्कशॉप में जाकर अपने हुनर में और इज़ाफ़ा करती हैं और गांव में आकर अन्य महिलाओं को भी अपने हुनर को निखारने में मदद करती हैं।

Ms.Puja Sharma from Haryana

यहाँ आई महिलाओं के जीवन में त्रासदियों की भी कोई कमी नहीं रहीफिर वो बलात्कार से पीड़ित महिला हो, या फिर घरेलू हिंसा की शिकार महिला या फिर पति और ससुराल से त्यागी गई स्त्री हो। इन बेसहारा महिलाओं को इज़्ज़त से सर उठा कर जीने की हिम्मत उनकी मेहनत और हाथ की कारीगरी ने दी है।

500 स्वय सहायता समूह, 230 स्टॉल और 30 राज्यों से आई हुनरमंद महिलाऐं सरस मेले की पहचान हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय देश भर में इन सरस मेलों का आयोजन कर रहा है। इन मेलों में महिलाऐं केवल अपने बनाए हुए उत्पाद बेच सकती हैं साथ ही यहाँ आयोजित होने वाली कार्यशालाओं में हिस्सा लेकर अपने आप को कुशल उधमी भी बना रही हैं। सरस मेले में डिज़ाइनिंगसंवाद कौशलई मार्केटिंगसंचार ज्ञान आदि शामिल हैं।

 

और सबसे अच्छी बात यह है कि देश भर में लगने वाले सरस मेलों में स्टॉल लगाने के लिए इन्हें कोई शुल्क नहीं देना है बल्कि मंत्रालय इन्हें प्रतिदिन के एक हज़ार रूपए का टी ए-डी ए भी देता है। इन हुनरमंदों के ठहरने की व्यवस्था उनके सम्बंधित राज्यों के भवन में की गई है।

फिर मिलेंगे दोस्तों, खुश रहिये, और घूमते रहिये,

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here