होटल में रहना हुआ पुराना यह है ट्रैवेलर हॉस्टल का ज़माना
दोस्तों क्वीन फिल्म तो आप सबने ज़रूर देखी होगी। और एक बार तो ऐसा सोचा भी होगा कि काश आप भी कभी ऐसे ही अनजान देश में अनजान दोस्तों के साथ घूमने फिरने का आनंद उठा पाते और जैसे कंगना रनोट ने हॉस्टल में रह कर यूरोप देखा था वैसी ही ट्रैवेलर जैसी ज़िन्दगी का स्वाद आप भी चख पाते।
हममें से कितनो ने तो ऐसा सोच कर यह भी तर्क दे दिया होगा कि ऐसा सिर्फ विदेशों में होता है। हमारे देश में कहाँ? पर सच्चाई थोड़ी अलग है मेरे दोस्त। अब हमारे देश में भी वो सब होने लगा है जो कभी विदेशों में हुआ करता था। क्यूंकि हम एक युवा देश हैं। हमारे देश में 60% से ज़्यादा जनता 40 वर्ष के नीचे की उम्र की है। और यह युवा जितनी मेहनत से काम करते हैं उतनी ही शिद्दत से मज़े भी करना चाहते हैं इसी लिए हमारे देश में ट्रेवेल बूम पर है। तो ज़ाहिर सी बात है ट्रेवेल इंडस्ट्री भी उसी अनुपात में फलेगी फूलेगी। जैसे जैसे समय बदला है वैसे वैसे ट्रेवल करने के तरीके भी बदले हैं। अब कहीं ठहरने को लेकर केवल होटल ही एक मात्र विकल्प नहीं है। जो लोग कम बजट में ज़्यादा से ज़्यादा घूमना चाहते हैं उनके लिए तो होटल वैसे भी बजट से बाहर की बात होता है। ऐसे में ट्रेवलर्स हॉस्टल एक उम्दा विकल्प बनकर सामने आता है। यह कुछ कुछ ऐसा है जैसे कि पुराने ज़माने में सराय होती थी। मध्ययुग सराय एक ऐसा स्थान होता था जहाँ आने जाने वाले ठहरा करते थे। और वहां उनके खाने पीने तथा मनोरंजन आदि की व्यवस्था भी होती थी।
सराय में लोग अपनी यात्राओं के दौरान आकर ठहरते थे और जो जितने दिन रहता था उसके बाद अपनी अपनी राह हो लेते थे। इस तरह लोग आपस में एक दूसरे से मिलते जुलते थे और अपनी अपनी दुनिया के अनुभव, सुख दुःख साझा किया करते थे। भले ही अब सराय का अस्तित्व न रहा हो और सराय केवल जगहों के नाम की तरह ही रह गई हो लेकिन सराय का कॉन्सेप्ट अभी भी ज़िंदा है। ट्रैवेलर्स हॉस्टल को अगर हम नए ज़माने की सराय कहें तो गलत नहीं होगा। और देखा जाए तो ट्रैवेलर्स हॉस्टल हमारे देश में और बेहतर रूप में सामने आते हैं। जैसे हमारे यहाँ जो हॉस्टल पाए जाते हैं उनमे महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग अलग डोरमेट्री होती है। जबकि यूरोप में बहुत सी जगह कॉमन डोरमेट्री होती है।
आइये देखते हैं कि यह किस तरह काम करता है।
इन हॉस्टल की सबसे अच्छी बात यह होती है कि आप कमरे के साथ साथ कॉमन रूम भी शेयर करते हैं। कुछ ऐसा समझिये जैसे परिवार के बाहर भी आपको एक परिवार मिल जाता है। जिसके साथ आप हंस बोल सकते हैं। खाना पीना खा सकते हैं। घूमने साथ जा सकते हैं। आउटिंग के लिए। कॉमन प्रोग्राम बना सकते हैं इस सब के बावजूद जहाँ आपके पास लोगों के साथ घुलने मिलने का मौक़ा होता है वही आप अगर मिक्स-अप न होना चाहें और अपनी तन्हाई को न बाँटना चाहें इसकी भी पूरी स्वतंत्रता होती है।
ट्रैवेलर्स हॉस्टल जिन्हें बेगपैकर्स हॉस्टल भी कहा जाता है एक ऐसा स्थान होता है जहाँ ज़रूरत भर की सभी सुविधाएं होती है। यह होटल नहीं होते लेकिन होटल में से लग्ज़री निकाल दीजिये तो ठहरने के लिए होटल का विकल्प होते हैं और वो भी बहुत ही कम क़ीमत पर। यहाँ एक बड़े से रूम में कई लोगों के सोने की व्यवस्था होती है। सिंगल बेड होता है, साथ ही सामान रखने के लिए छोटा-सा लॉकर और आपके बेड के सिरहाने पर रीडिंग लाइट और एक आराम दायक बिस्तर होता है। साथ ही एक कॉमन टॉयलेट होता है जिसे आपको अपने रूम में रहने वाले साथियों के साथ शेयर करना होता है।
इसके अलावा खाने पीने की व्यवस्था के लिए कुछ हॉस्टल में किचन होता है कुछ में नहीं. आपको अपने खाने की व्यवस्था खुद करनी होती है। कहीं कहीं वाशिंग के लिए अलग से लॉन्ड्री एरिया भी होता है। अगर आप बेगपैकर हैं तो आपको थोड़े थोड़े समय पर अपने कपड़ों को लॉन्ड्री करने की भी ज़रूरत रहती है। ऐसे होस्टल्स में यह सुविधा भी मिल जाया करती है। सभी होस्टल्स में फ्री वाई फाई की भी सुविधा होती है।
और सबसे अच्छी बात यह है की यह होस्टल बड़े ही सेंट्रली लोकेटेड होते हैं। जैसे अगर मैं गोवा की बात करूँ तो आपको ऐसे हॉस्टल बीच से वाकिंग डिस्टेंस पर ही मिल जाएंगे। वहीँ उदयपुर में यह ओल्ड सिटी में लेक पिछोला के पास मिल जाएंगे। आगरा में ताज महल के बहुत ही नज़दीक के रिहायशी इलाक़े में मिल जाएंगे।
इनकी लोकेशन के कारण ही ऐसे हॉस्टल विदेशी ट्रेवलर्स में ख़ासे प्रसिद्ध होते हैं। जहाँ इन हॉस्टल में ठहरने के लिए एक रात का 300 -400 रूपए किराया देना होता है वहीँ लोकेशन के कारण आपका लोकल ट्रांसपोर्ट में भी ख़र्चा बच जाता है।
सिर्फ स्टे नहीं और भी बहुत कुछ है ख़ास
ऐसा कितनी ही बार होता है कि हम लाइफ में बहुत कुछ करना चाहते हैं मन में एक सपने की तरह पाल कर रखते हैं कि एक दिन में पहाड़ों में जाऊंगा। कैम्पिंग करूँगा, ट्रैकिंग करूँगा, जंगल में प्रकृति के नज़ारे देखूंगा। लेकिन अपने डेली रूटीन से बाहर नहीं निकल पाते। और अपने सपने को इसलिए पूरा नहीं कर पाते की जब भी प्लान बनाते हैं पहले तो सारे दोस्त हाँ कर देते हैं और फाइनल प्लान बनने तक सब गायब हो जाते हैं और आप साथ न मिलने की वजह से एक बार फिर अपने सपने को दिल में ही रख कर “फिर कभी जाऊंगा” सोच लेते हैं। लेकिन दोस्तों यहाँ मैं आपसे कहूं कि आप के सपने पूरे करने के लिए साथ का भी इंतिज़ाम हो जाएगा तो क्या आप विश्वास करेंगे?
जी हाँ ये हो सकता है। आप जैसे और भी लोग हैं जिन्हें अपने इन सपनो को पूरा करने के लिए साथ चाहिए। और आपके लिए इसी साथ को जुटाने का काम भी कुछ बेगपैकर्स हॉस्टल कर देते हैं।
दोस्तों अभी तक हम बात कर रहे थे ऐसे हॉस्टल की जहाँ ठहरने की व्यवस्था न सिर्फ कम पैसों में हो जाती है बल्कि स्टे भी बड़ा ही ट्रैंडी होता है। आप को यायावरी की दुनिया के अलग अलग अनुभव होते हैं। लेकिन मैं आपसे कहूं कि ऐसे भी हॉस्टल होते हैं जहाँ आप स्टे के अलावा खुद को एक्सप्लोर भी कर सकते हैं।
जैसे आप ट्रैकिंग पर जा सकते हैं। कैंपिंग कर सकते हैं। अगर आप नेचर लवर हैं तो जंगल वॉक पर भी जा सकते हैं। जैसे कसोल में ही लीजिये। एक ट्रेवलर्स हॉस्टल है जिसका नाम है- द हॉस्टलर्सhttp://www.thehosteller.com यह न सिर्फ एक ठहरने की अच्छी जगह है बल्कि इनके साथ आप बड़े ही कम पैसों में आस पास के ट्रेक पर भी जा सकते हैं। और मज़े की बात यह है कि ऐसे हॉस्टल न सिर्फ यंगस्टर्स को ट्रैक पर लेकर जाते हैं साथ ही ऐसे लोग जिन्होंने पहले कभी ट्रैकिंग नहीं की है और सिर्फ इसलिए अपने ट्रैकिंग करने के शौक़ को पूरा नहीं किया क्यूंकि वह ज़्यादा चल नहीं सकते और पेशेवर ट्रैकर्स की तरह अपनी पीठ पर भारी बैग पैक कैरी नहीं कर सकते को भी ट्रैकिंग करवाते हैं।
ऐसे हॉस्टल में ट्रैकिंग करने और साथ में सामान उठाने के लिए लोडर की व्यवस्था भी कर दी जाती है। तो है न मज़े की बात। अब आपको यह सोच कर मन मारने की ज़रूरत नहीं कि अब क्या ट्रैकिंग पर जाएंगे?
सेफ्टी का भी है पूरा ख्याल
इन सब रोचक बातों के बावजूद एक बहुत ही अहम सवाल अब भी बाक़ी है, और वो सवाल है सुरक्षा का। द हॉस्टलर्स नाम के हॉस्टल को चलाने वाले युवा एंटरप्रेनर प्रणव से जब हमने सेफ्टी के बारे में पूछा तो उनका का कहना है कि- ” हमारे सारे हॉस्टल्स में सी सी टी वी कैमरे लगे हुए हैं। यहाँ तक कि डोरमेट्री में भी जहाँ आप लोगों के साथ रूम शेयर करते हैं। हम अपने हॉस्टल में लोकल लोगों को स्टे नहीं करवाते। विदेशी ट्रैवेलर्स के लिए हर दिन एक फॉर्म भरना होता है जोकि नज़दीक के पोलिस स्टेशन में जमा करवाया जाता है। हम ट्रैवेलर्स को देर रात तक बाहर रहने से जुड़े हुए दिशा निर्देश भी देते हैं और एक हेल्पलाइन नंबर भी। कभी आवश्यकता होने पर वह हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम ट्रेवलर्स से उम्मीद करते हैं कि अगर वह अपने किसी मित्र के पास नाईट स्टे करने वाले हैं तो वह हॉस्टल में फ़ोन करके सूचित करें। ताकि हमें पता हो कि वह सुरक्षित हैं।”
कुछ होस्टल्स के लिंक्स
http://www.itravellershostel.com
तो दोस्तों देर किस बात की है, गर्मियों का मौसम भी है और घूमने का मौक़ा भी है। इसलिए फैलाइये अपने पंख और दीजिये अपने सपनों को नई उड़ान क्यूंकि होटल के भारी भरकम खर्च से निपटने का विकल्प तो मैंने आपको दे ही दिया है।
अगली पोस्ट में ट्रेवल से जुड़े कई और कारगर टिप्स आपके साथ साझा करुँगी,
तब तक ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ।
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
Very good. … Isase or bhi sasta. … Kiraya bhada b na lage. .. Aisa kuchh ho …
Waah maja aa gaya kaynaat .. aapne to vakai sapno ko udyan de di
Thanks Sarita, stay in touch for more article like this.
Nice article.. Backpackers ke baare me achhi jaankari hai hindi me..
Thanks dear