वर्ड क्लास एडवेंचर स्पोर्ट्स का मज़ा लें जल महोत्सव में …
जब जल महोत्सव का बुलावा आया तो मैंने हमेशा की तरह गूगल पर जाकर यह जानने की कोशिश की के यह जल महोत्सव होता कहाँ है? हनुवंतिया के बारे मे मुझे कुछ ज़्यादा पता नही था सिवाए इसके की यह मध्य परदेश मे है कहीं इंदौर के पास। मैं क्यूंकी एक फोटोग्राफर हूँ तो मेरी रिसर्च फोटोग्राफ से ही शुरू होती है। गूगल पर कुछ तस्वीरें देखीं तो थोड़ी जिज्ञासा जागी, तो सोचा क्यूँ न यू ट्यूब पर वीडियो भी देख लिया जाए।
जब यू ट्यूब पर देखा तो कुछ ज़्यादा नही मिला एक वीडियो थी जो किसी नौसिखिए ने फोन से बना कर डाली होगी। उसे देख कर तो एक बार सोच मे ही पड़ गई की जाऊं की न जाऊं? क्यूंकि वीडियो मे कुछ खास अड्वेंचर नज़र नही आया। पर मेरे ट्रैवेलर मन ने सोचा कि क्यूँ न एक चान्स दिया जाए? और फिर मैंने जल महोत्सव मे जाने का मन बना लिया। यहाँ से फ्लाइट से इंदौर पहुँची और इंदौर से टेक्सी से हनुवंतिया की ओर रवाना हो गई। इंदौर से निकलते ही कुछ आगे जाने पर खूबसूरत वन क्षेत्र शुरू हो जाता है। मध्य प्रदेश के पास अतुल्य वन संपदा है। यहाँ इस हिस्से मे विंध्याचल पर्वत श्रंखला का कुछ भाग पड़ता है जो की एक सुन्दर घाट बनाता है। पहाड़ों को काटती हुई सड़कें कहीं बहुत गुमावदार और बहुत सारे अंधे मोड़ अपने मे समेटे हुई थी। आस पास बहुत कम ऊंचाई वाले पहाड़, विंध्याचल पर्वत माला को उसकी कम ऊंचाई से आसानी से पहचाना जा सकता है। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है, कहते हैं कि जब अगस्त्या ऋषि दक्षिण की ओर यात्रा करने निकले तो विंध्याचल पर्वत माला ने झुक कर उनका मार्ग प्रशस्त किया। ऐसी ना जाने कितनी कही अनकही कहानियाँ हमारे देश के आँचलों मे ऐसे ही मिल जया करती हैं।
खैर हम बात कर रहे थे जल महोत्सव की जोकि हर साल हनुवंतिया टापू पर मनाया जाता है।
हनुवंतिया टापू खंडवा जिले मे पड़ता है। यहाँ पास ही इंदिरा सागर डेम है। और आपको जान कर हैरानी होगी कि यह जलाशय देश का सबसे बड़ा पानी का रिज़र्वायर है। आप जब इसे देखेंगे तो यह समुद्र जैसा नज़र आएगा। कोई सोच भी नही सकता है कि सन् 1984 से पूर्व इस क्षेत्र मे पानी की कमी थी। और आज जहाँ पानी का इतना बड़ा ख़ज़ाना है जिसकी गहराई लगभग 300 से 400 फिट है वहाँ कभी गाँव हुआ करते थे। इस क्षेत्र की प्रगति के लिए नर्मदा नदी पर इंद्रा सागर डेम बनाया गया। और फिर यहाँ पानी को कोई कमी न रही और आज हालत यह है कि इस बैक वॉटर्स मे जल महोत्सव मनाया जाता है। जिसमे वॉटर स्पोर्ट्स किए जाते हैं। इन वॉटर स्पोर्ट्स को इंजोय करने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
मुझे भी वॉटर स्पोर्ट्स पसंद हैं और जिसकी तलाश मे मैंने भारत की अलग अलग दिशाओं के बीचों की यात्रा भी की हैं जैसे पश्चिम मे गुजरात का मांडवी बीच से लेकर मुंबई, गोआ और केरला तक के बीच और पूरब मे बंगाल के मंदारमनी से लेकर पॉंडिचेरी और चेन्नई तक के बीच का चक्कर लगाया है पर कहीं भी मुझे वो सॉफ नीला पानी नही मिला जिसकी कि मैं कल्पना करती थी। इन सभी बीचों पर पानी का रंग नीला नही है, कहीं कहीं तो पानी इतना काला है कि पानी मे जाने का मन ही नही किया मेरा। और जब मैं यहाँ हनुमंतिया पहुँची तो देखा यहाँ इतना पानी है जैसे की समुद्र हो। और पानी का रंग सॉफ नीला चमचमाता हुआ। देख कर दिल खुश हो गया।
हनुवंतिया टापू तक पहुँचने के लिए इंदौर से 3 से 4 घंटों का समय लगता है।रोड अच्छी है इसलिए बिना किसी असुविधा के मे हनुवंतिया पहुँच गई। यहाँ पर ही जल महोत्सव का आयोजन किया गया है। यह एक सुंदर टापू है जिसे मध्य परदेश सरकार ने 20 करोड़ रुपया खर्च करके विकसित किया है। यहाँ कुछ पर्मनेंट कॉटेज हैं और जल महोत्सव के लिए खास तौर पर एक टेंट सिटी बसाया जाता है। सैलानी यहाँ टेंट सिटी मे रह कर वॉटर स्पोर्ट्स का आनंद उठा सकते हैं। मैं जब पहुँची तो मेरा बढ़िया स्वागत किया गया। आधुनिक सुख सुविधाओं से लेस टेंट सिटी मे चप्पे चप्पे पर आपकी हेल्प करने के लिए लोग तैनात थे। पर्यटक को कोई असुविधा न हो इसके लिए प्रॉपर रिसेप्शन जोकि 24X7 काम करता है आपकी सेवा मे तत्पर है। आप आराम से चेक इन कीजिए और अपने टेंट मे बैटरी कार से पहुँच जाइए।
टेंट सिटी मे यहाँ वहाँ जाने के लिए बैटरी कार का भी प्रबंध था। मैंने अपने टेंट का जयाज़ा लिया। यह लेक व्यू वीआईपी टेंट है जिसके सामने खूबसूरत जलराशि नज़र आ रही थी। मौसम अच्छा है। यहाँ ठंड सिर्फ़ सुबह शाम की है वो भी 1 जैकेट से काम चल जाता है। मैंने फ्रेश हो कर डाइनिंग हॉल का रुख़ किया। यहाँ टेंट्स मे कुछ भी खाना पीना सर्व नही किया जाता इसके लिए 1 बड़ा सा डाइनिंग हॉल है जहाँ बढ़िया वेजिटेरियन खाना मेरा इंतिज़ार कर रहा था। मैं मालवा मे हूँ और मालवा रीजन तो जाना ही जाता है अपने अनोखे स्वाद के लिए। मैंने मज़े से यहाँ के खाने का आनंद लिया और वापस अपने टेंट के पास आ गई। यहाँ टेंटो के बीचों बीच बैठने की व्यवस्था है जहाँ बैठ कर आप घंटो उस अतः जलराशि को देख सकते हैं जहाँ भीं भिन्न परकार के वॉटर स्पोर्ट्स हो रहे हैं। ऐसा लगता है मानो आपके देखने के लिए ही लोग यहाँ जल क्रीड़ा करने आए हैं। फ़िज़ा मे थोड़ी नमी है लेकिन खिली धूप मे वो ठंडक भी भली लगती है। मैं अपनी इस यात्रा को अड्वेंचर ट्रिप होने के बावजूद आराम आराम से एंजाय करते हुए करना चाहती हूँ इसलिए मैंने पहले दिन सिर्फ़ हाउस बोट राइड का आनंद लिया। यह भी यहाँ के मुख्य आकर्षणों मे से एक है।
हाउस बोट:
मैं जब बोट क्लब पहुँची तो शाम के चार बजे थे। इसी समय हाउस बोट सैलानियों को लेकर बैक वॉटर्स का चक्कर लगाती है। और सब सनसेट का आनंद लेते है। मेरी नज़र जब हाउस बोट पर पड़ी तो मैं हैरान रह गई अरे यह तो केरला के बैक वॉटर्स जैसी हाउस बोट है। पता किया तो मालूम हुआ कि यह हाउस बोट खास केरल से आए कलाकारों ने ही बनाई है। दो मंज़िला इस हाउस बोट मे एक ड्रॉयिंग रूम, 3 बेडरूम और एक बड़ा-सा डाइनिंग हॉल है ऊपर। जहाँ पर पार्टी भी की जा सकती है। आप यहाँ ठहर भी सकते हैं जिसके लिए पहले से बुकिंग करवाना ज़रूरी है।
मैं कहूँगी कि यह हाउस बोट केरला और कश्मीर की हाउस बोट से ज़्यादा अच्छी है, क्यूंकि वहाँ जो बॅकवॉटर्स है उसमे लोग अपने घरों का कचरा भी डालते हैं जिस से पानी मे बदबू पैदा होती है। यहाँ क्यूंकि आस पास लोग नही रहते और यह एक टापू भर है इसलिए यहाँ का पानी साफ है।
मैंने शाम ढले तक हाउस बोट राइड का मज़ा लिया। और जब वापस आई तो पास ही जल महोत्सव का सांस्कृतिक मंच बना हुआ था जिस की जगमग करती रंगीन लाइटों ने मुझे रोक लिए। यहाँ हर शाम 7 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसके द्वारा मध्य परदेश की लोक संस्कृति के दर्शन होते हैं। इस कार्यक्रमों मे आने वाल कलाकार यहां मध्य प्रदेश के होते हैं। एक घंटे तक चला रंगारंग कार्यक्रम बहुत शानदार था। महाकाल की धरती और मां नर्मदा की स्तुति वंदना ने सब को भाव विभोर कर दिया। और मैं टेंट सिटी मे वापस आ गई। शाम को यहाँ टेंट सिटी के बीचों बीच लाइव म्यूजिक की व्यवस्था की गई है। जोकि मधुर गीतों से सैलानियों का मनोरंजन करते हैं। मैं कुछ देर ठहर कर उनके गीतों को सुनने लगी। आस पास बच्चे साइकिल चला रहे हैं। अगर आप को भी साइकिल चलना पसंद है तो यहाँ उसकी भी व्यवस्था है। आप साइकिल पर ही पूरा टापू घूम सकते हैं।
नीले आकाश तले सफेद टेंट जोकि पीली रोशनियों मे सराबोर थे बहुत खूबसूरत नज़र आ रहे थे। टेंट सिटी पर रात उतर आई है। उस नौजवान सिंगर की मख़मली आवाज़ ने दिन की सारी थकान उतार दी।एक हॉलिडे पर और क्या चाहिए अड्वेंचर से भरपूर दिन और मलमल के दुपट्टे सी नर्म अलसाई शाम जोकि धीरे धीरे आपके मन से तनाव की परतें पोंछती हो।
वहाँ से उठने का मन नही कर रहा था पर नींद भी हावी हो रही थी तो मैं भी अलसाई सी अपने टेंट की ओर चल पड़ी। मेरे टेंट मे मेरा नर्म मुलायम कोज़ी सा बिस्तर इंतिज़ार कर रहा था। एक थके पथिक को इस वक़्त और क्या चाहिए।
कहते हैं न हर अच्छी चीज़ अपने अंत की ओर अग्रसर होती है। वेसे ही यह दिन भी ढल गया और दे गया बहुत सारी यादें और अगले दिन के लिए ढेर सारी उम्मीद। कल का दिन बड़ा होने वाला है। अभी तो सारी अड्वेंचर एक्टिविटी बाक़ी हैं।
आज दूसरा दिन है और मैं तैयार हूँ बहुत सारी अड्वेंचर एक्टिविटीज़ करने के लिए। यहाँ अड्वेंचर एक्टिविटीज़ को दो हिस्सों मे बांटा गया है। एक लैड एक्टिविटीज़ और दूसरी वॉटर एक्टिविटीज़। मैं पहले लैड एक्टिविटी करूँगी बाद मे वॉटर क्यूंकि वॉटर एक्टिविटी मे भुगने की पूरी संभावना है। लैड एक्टिविटी के लिए टेंट सिटी के पीछे अड्वेंचर ज़ोन बनाया गया है जहाँ पर लैंडिग करवाई जा रही है। मैं पहुँची देखा, तो काफ़ी भीड़ लगी हुई है। यह एक्टिविटी प्रोफेशनल्स के द्वारा संपादित करवाई जा रही हैं इसलिए सुरक्षा की फ़िक्र करने की ज़रूरत नही है। यहाँ छोटे छोटे बच्चे भी पैरा मोटर्स का मज़ा ले रहे थे। कौन नही चाहेगा की आसमान मे पंछी की तरह एक लंबी परवाज़ की जाए। मुझे ऊंचाई से थोड़ा डर लगता है पर बच्चों को करते देख कर मुझ मे भी हिम्मत आ गई सो मैंने भी मोटर्स की राईड की। और उससे भी ज़रूरी था की मुझे ऊपर से हनुमंतिया टापू के एरियल शॉट्स लेने थे। तो फिर तो जाना ही पड़ेगा। मेरे साथ मेरे पाइलट भी मौजूद थे इसलिए थोड़ी हिम्मत थी। हमने पैरा ग्लाइडिंग(मोटर्स) की और एक लंबा चक्कर लगाया पूरे टापू का। बड़ा अनोखा अनुभव है यह ज़िंदगी मे एक बार ज़रूर करना चाहिए। मैंने भले ही हवाई जहाज़ के कितनी ही यात्राएँ की हैं लेकिन यह अलग है। रोमांच से भरा हुआ। इस उड़ान मे सही मे एक पंछी वाली फीलिंग आती है। मैं पंख फैलाए हनुवंतिया टापू पर सच मे उड़ रही थी। उसके बाद तो एक्टिविटीस की लाइन ही लग गई, ज़िप लाइनर, आर्चरी, पैरा मोटर्स, हॉट एयर बेलून, लैड परा सेलिंग और भी बहुत कुछ। मैं 12 बजे तक लैड एक्टिविटी से फारिग हो पाई फिर मैंने रुख़ किया वॉटर एक्टिविटी का जोकि बोट क्लब पर होती हैं। यहाँ की कमान भोपाल के बोट क्लब के अधिकारियों ने संभाल रखी थी। लोगों मे उत्साह देखते ही बनता था। एक से बढ़ कर एक वॉटर स्पोर्ट्स देखने को मिल रहे थे।
वॉटर ज़ॉर्बींग, वॉटर पैरा सेलिंग, मोटर बोट, बनाना राइड और जेट स्की। मैंने वॉटर पैरा सेलिंग से शुरुवात की। ये अड्वेंचर से भरा हुआ था। समुद्र जैसी विशाल जल राशि मे पानी के साथ अटखेलियां करने का अपना अलग ही आनंद है। यह जगह इतनी रोमांचक है इसका अंदाज़ा यहाँ आए बिना नही लगाया जा सकता। यहाँ रोज़ हज़ारों की संख्या मे लोग आ रहे हैं, जिनमे मध्य परदेश के अलावा महा राष्ट्र और गुजरात के लोग भी शामिल हैं।
सर्दियों के मौसम मे गर्मी का मज़ा अगर लेना हो एक बार जल महोत्सव ज़रूर जाना चाहिए आप गोआ को तो भूल ही जाएँगे।
मैं खुद बहुत ज़्यादा एडवेंचरस इंसान नही हूँ, मुझे हमेशा सेफ़्टी की चिंता रहती है लेकिन यहाँ का प्रबंध ट्रेड और तकनीकी रूप से कुशल हाथों मे था इसलिए मैंने सारी एक्टिविटी की। इन एक्टिविटीज़ मे मेरी सबसे फेवरिट एक्टिविटी रही पैरा सेलिंग। तेज़ स्पीड बोट मे पानी मे बहुत अंदर जाकर जब पैराशूट से बाँध कर ऊपर उड़ाया जाता है तो वहाँ से नज़ारा देखने लायक़ होता है। मैं बड़ी निश्चिंत होकर सारी एक्टिविटी कर पाई क्योंकि इन सभी एक्टिविटीज़ का संचालन हमारी नेवी के पूर्व अधिकारियों द्वारा किया जा रहा था। और अपने देश की सैना के जवानों पर किसे भरोसा नही होगा। इसलिए आप भी निश्चिंत हो यहाँ मज़े से अड्वेंचर स्पोर्ट्स का आनंद लीजिए।
अंत मे मैं यही कहूँगी की सुकून और रोमांच का कॉकटेल है जल महोत्सव। यहाँ आप अपनी आपाधापी भरी ज़िंदगी से दूर सुकून के दो दिन गुज़ार सकते हैं साथ ही अड्वेंचर एक्टिविटी का मज़ा भी ले सकते हैं।
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा पर,
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
jitni taareef ki jaye utna kam hai , bahut hee sundar blog hai aapka aur usse bhi adhik aapki lekhni. aur utne hee sundar chitr.maine pahli baar kisi blog ko bookmark kiya hai to wo aapka hee blog hai.
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KK