लोक नृत्य, कला और प्रकृति की सौगात-संगाई फेस्टिवल, इम्फाल मणिपुर
दिल्ली से मणिपुर तक का सफ़र लंबा है। यहाँ तक पहुँचने के दो ही साधन हैं, या तो बस या फिर फ्लाइट। पहाड़ों की दूर दूर तक फैली क़तारों को पर करके मणिपुर आता है। मुझे जब मणिपुर टूरिज़्म से संगाई महोत्सव न्योता आया तो जाना तो बनता ही था। हमारे देश के उत्तर पूर्वी राज्यों को सात बहने माना जाता है। नॉर्थ ईस्ट के यह 7 राज्य बहुत खूबसूरत हैं।
सिक्किम, मणिपुर, मेघालय,नागालैंड, अरुणाचल परदेश,मिज़ोरम और त्रिपुरा सभी एक से बढ़ कर एक राज्य हैं। क़ुदरत ने भर भर हाथ इन प्रदेशों को प्राकृतिक सुंदरता से नवाज़ा है। इसी लिए शायद पंडित नेहरू इसे भारत का नगीना कहा करते थे। वैसे इसे प्यार से लोग ईस्ट का स्विट्जरलैंड भी कहते हैं। मणिपुर एक छोटा राज्य है लेकिन इसका सामरिक महत्व बहुत है। मणिपुर म्यामार के साथ 348 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। आप यहां से एक दिन मे भी म्यामार होकर आ सकते हैं। हमारे देश के पड़ोसी राष्ट्रों से संबंधों की द्रष्टि से भी इस राज्य का बड़ा महत्व है। यहाँ से होकर सड़क के रास्ते म्यामार और थायलैंड तक जाया जा सकता है।
हाँ तो हम बात कर रहे थे संगाई फेस्टिवल की। संगाई फेस्टिवल इंफाल मे नवम्बर के महीने मे हर साल बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। शाम होते ही पूरा शहर जगमगाती रोशनियों से सज जाता है। संगाई फेस्टिवल एक ज़रिया है इस छोटे से राज्य मे फैले 34 जनजातियों की अलग-अलग संस्कृतियों से रूबरू होने का। इस फेस्टिवल द्वारा पूरे के पूरे मानीपुर की आत्मा को एक जगह लाकर रख दिया जाता है। मणिपुर तीन चीज़ों के लिये जाना जाता है, यहाँ का नृत्य, लोक कला प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर।
महीनों पहले से इस फेस्टिवल की तैयारी शुरू हो जाती है। इंफाल मे फेस्टिवल ग्राउंड जिसे BOAT कहते हैं, में फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। ग्राउंड मे एक तरफ मणिपुर की जनजातियों के जीवन को दर्शाने के लिए उन जनजातियों के घरों के स्वरूप तैयार किए जाते हैं। दूसरी तरफ खाने पीने के स्टॉल्स और तीसरी तरफ यहाँ की लोक कला से जुड़े स्टॉल्स, जहाँ पर हाथ से बने कपड़े, बाँस का हेंडीक्राफ्ट आइटम्स होते हैं।
इसी ग्राउंड मे एक बड़ा-सा आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण ओपन थियेटर भी है जहाँ हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मणिपुर के लोगों के जीवन मे संगीत और नृत्य का बड़ा महत्व है इसीलिए यहाँ के लड़के और लड़कियाँ इन आयोजनों मे बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं।
मणिपुरी नृत्य मे वैसे तो मुख्य रूप से रासलीला का मंचन किया जाता है। जहाँ कृष्ण और अन्य पौराणिक पात्रों जीवन से जुड़ी कथाओं और लीलाओं का मंचन होता हैं। इसके अलावा यहाँ की जनजाति और आदिवासियों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं जिनमे आदिवासी जीवन की झलक मिलती है। जैसे यह नृत्य नाटिकाएँ प्राकृति के नज़दीक होती हैं, जिनमे पंछियों की आवाज़ें, जानवरों की मुद्राएँ और पोशाक मे भी जानवरों के सींग आदि का प्रयोग किया जाता है। यह नृत्य बताते हैं की यह लोग आज भी प्राकृति के कितने नज़दीक हैं।
नृत्य के अलावा लोक जीवन के दर्शन हमे एक अन्य आयोजनों में भी देखने को मिले। संगाई महोत्सव के दिनों मे ही इंफाल मे स्थित कंगला फ़ोर्ट के सहारे सहारे बनी नहर पर पारंपरिक तरीके से बोट रेस का आयोजन किया जाता है। यह परंपरा यहाँ के राजा के समय से चली आ रही है। इस बोट रेस मे हिस्सा लेने दूर दूर से लोग आते हैं। और अपने राजा को भेंट अर्पित करते हैं।
यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है। लाव लश्कर के साथ लोग पारंपरिक वेश भूषा में सज कर आते हैं और अपने आराध्य देव की पूजा करते हैं। पूजा के बाद दो पतली नावों में नाविक सवार होते हैं। और रेस आरम्भ की जाती है। जो सबसे पहले नहर का चक्कर लगा कर वापस आता है वही विजयी घोषित किया जाता है। यह रेस केरल में आयोजित की जाने वाली स्नेक बोट रेस से थोड़ी अलग है।
उस रेस में नाविक बैठ कर नाव चलाते हैं जबकि यहाँ नाव में खड़े होकर बड़ी मुश्किल से बैलेंस बनाते हुए नाव चलानी पड़ती है। केरल की बोट रेस एक्शन से भरपूर होती है जबकि यह रेस धीमे धीमे आगे बढ़ती है। पुरुषों के बाद महिलाओं की रेस रखी जाती है। सुन्दर पारंपरिक परिधान मेखला में सजी यह महिलाऐं किसी अप्सरा सी सुन्दर नज़र आती हैं। वैसे तो संगाई फेस्टिवल का मुख्य केंद्र इम्फाल ही है लेकिन एडवेंचर एक्टिविटी के लिए इम्फाल के बाहर भी आयोजन किये जाते हैं।
संगाई फेस्टिवल पहले मणिपुर टूरिसम फेस्टिवल के रूप मे जाना जाता था बाद मे इसे संगाई फेस्टिवल नाम दिया गाया। संगाई यहाँ के जंगलों मे पाया जाने वाला हिरण है। जोकि यहाँ लोकप्रिय जीव है, साथ ही आज उसके अस्तित्व पर ख़तरा मंडरा रहा है। संगाई हिरण की प्रजाति के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उसी हिरण के नाम पर इस फेस्टिवल का नाम संगाई पड़ा।
मणिपुर मे संगाई फेस्टिवल हर साल 21 से 30 नवंबर के बीच मनाया जाता है। मणिपुर में और भी बहुत कुछ है देखने को बस इन्तिज़ार कीजिये मेरी अगली पोस्ट का।
कैसे पहुंचें
मणिपुर से पहुँच सकते हैं, सड़क और हवाई यात्रा।
मणिपुर उत्तर पूर्व के अपने पड़ोसी राज्यों जैसे नागालैंड, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मणिपुर में रेलवे अभी तक नहीं पहुंची है। इसके लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन नागालैंड का दीमापुर रेलवेस्टेशन है जोकि इम्फाल से लगभग 215 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मणिपुर पहुँचने के लिए सबसे आसान तरीका है हवाई यात्रा का। इम्फाल एक अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे है जोकि दिल्ली कोलकाता आदि मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा पर, तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी