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Girls doing Garba in Navratri festival of Gujarat

गुजरात में नवरात्रि की धूम

भारत देश ऋतुओं का देश है। हम खुशकिस्मत हैं कि हम हर मौसम का मज़ा उठा पाते हैं। यहाँ हर मौसम साथ लाता है अपनी खुशबू समेटे हुए तीज त्यौहार। इस देश में हर मौसम के अलग त्यौहार हैं। तेज़ गर्मी के बाद रिमझिम-रिमझिम फुहार धरा को भिगो देती है। तपती धरती इसका स्वागत झूलों से और सावन के गीतों से करती है। बारिश का ऐसा स्वागत कि फिर बदली भी जम के बरसती है। और तब तक बरसती है जब तक धरती का पोर-पोर भीग न जाए। बारिश के बाद धीमें धीमें क़दमों से चल कर शरद ऋतु हमारे दरवाज़े आ खड़ी होती है और अपने साथ ले आती है त्योहारों का खज़ाना। त्यौहार जो जीवन में उमंग भरते हैं, रंग भरते हैं। इसी कड़ी में सबसे पहले आती है शक्ति का प्रतीक पर्व नवरात्रि, और पूरा देश नवरात्रि की तैयारियों में लग जाता है। देश के पूरबी हिस्से में बसा बंगाल जहाँ यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाता है वहीं पश्चिम में बसे गुजरात में नवरात्रि उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

हमारे देश में त्योहारों का महत्व ऐसे ही नहीं है। हर त्यौहार के पीछे एक सन्देश छुपा होता है। अब नवरात्रि को ही लीजिये। यह पर्व है नारी के सम्मान का। नारी शक्ति का। समृद्धि का, विश्वास और आस्था का।

Folk dance Garba in Navratri fastival Gujarat

क्यों मनाया जाता है नवरात्रि उत्सव?

भारत किस्से कहानियों का देश है, यहाँ पौराणिक कहानियां सदियों से हमारे जीवन का अंग बनी हुई हैं। ऐसी ही एक पौराणिक कथा के अनुसार बहुत पहले की बात है। एक राक्षस था जिसका नाम था महिषासुर। वह भगवान शिव का परम भक्त था। उसने कड़ी तपस्या कर भगवान शिव से यह वरदान माँगा कि उसे कितना भी शक्तिशाली पुरुष हो नहीं मार पाएगा। इस वरदान से महिषासुर के पास अपार शक्तियां आ गईं और वह घमंड में चूर हो देवताओं को परेशान करने लगा। उसके पास इतनी शक्ति थी कि तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु व महेश भी उसे हराने में असमर्थ थे। पूरा देवलोक महिषासुर के आतंक से परेशान हो उठा। महिषासुर को यह वरदान प्राप्त था कि उसे कोई पुरुष नही मार सकता इसलिए सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियों को मिलाकर दुर्गा को बनाया। अनेक शक्तियों के तेज से जन्मीं माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और वह महिषासुरमर्दिनी कहलाईं। इसी लिए यह पर्व बुराई पर अच्छी की जीत के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व नारी शक्ति का प्रतीक है।

Garba in Navratri festival Gujarat

जिस तरह दुर्गा पूजा के लिए बंगाल मशहूर है उसी तरह नवरात्रि उत्सव का नाम आते ही गुजरात का नाम लिया जाता है। अगर आप भी नवरात्रि का मज़ा उठाना चाहते हैं तो एक बार गुजरात में नवरात्रि ज़रूर मनाने जाएं। नौ दिन चलने वाला यह महोत्सव विश्व का सबसे बड़ा डांस फेस्टिवल माना जाता है। यह पर्व है लोगों का और उनके उल्लास का। जैसा कि इसके नाम से ज़ाहिर है, नव माने नौ और रात्रि माने रात। नौ रातों तक चलने वाला यह उत्सव रोशनियों और खुशियों को समेटे हुए है। गुजरात में हर जगह छोटे बड़े पंडालों में लोग गरबा नृत्य करने आते हैं।

Folk dance- in Navratri festival Gujarat

नवरात्रि की धूम गरबा के संग

दोस्तों नवरात्रि उत्सव के असली रंग देखने हों तो चलिए गुजरात। गुजरात एक ऐसा राज्य है जहाँ नवरात्रि का त्यौहार गरबा और डांडिया रास के साथ मनाया जाता है। इस राज्य में माँ अम्बा को विशेष रूप से पूजा जाता है। और ऐसा माना जाता है कि माँ अम्बा को गरबा बहुत प्रिये है, इसी लिए माँ अम्बा को प्रसन्न करने के लिए लोग गरबा करते हैं। माँ दुर्गा की आरती के साथ नवरात्रि उत्सव का शुभारम्भ किया जाता है।

गरबा के साथ डांडिया रास श्री कृष्णा और गोपियों की याद में किया जाता है। गुजरात में वैसे तो हर छोटे बड़े शहर, गांव क़स्बे में गरबा किया जाता है लेकिन सबसे बड़ा गरबा बड़ोदा शहर में होता है। गरबा की धूम महीनों पहले से लोगों में ऊर्जा भर देती है। लड़के और लड़कियां गरबा के लिए डांस क्लासेज ज्वाइन करते हैं और जम कर मेहनत करते हैं। ताल से ताल मिला कर, बिना एक बीट मिस किए गरबा करना सरल नहीं है।

नौ रातों तक चलने वाला इस डांस फेस्टिवल का युवाओं में बड़ा क्रेज़ है। यह लोग हर रोज़ एक नए डिज़ाइन के कॉस्टयूम में सज कर गरबा खेलने अलग अलग पंडालों में जाते हैं। ये झिल-मिल करते कॉस्टयूम किराए पर उपलब्ध होते हैं। जिनका किराया एक हज़ार से पांच हज़ार रूपए रोज़ का होता है।

गरबा का है कुछ ख़ास अर्थ

गुजरात में जगह जगह गरबा खेलने के लिए पंडाल बने होते हैं। मैंने ऐसे ही एक पंडाल में पूरे जोश से गरबा करने वाली मीनल से गरबा के इतिहास के बारे में जानने की कोशिश की, मीनल ने बताया- गरबा शब्द गर्भ-दीप से लिया गया है। हमारे यहाँ नवरात्रि के पहले दिन एक मिटटी का घड़ा स्थापित किया जाता है। जिसमे एक चांदी का सिक्का और दीपक रखा जाता है। इस दीपक वाले घड़े को दीपगर्भ कहते हैं। इसके साथ ही नवरात्रि उत्सव की शुरुवात होती है। युवतियां रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर मां शक्ति की उपासना करती हैं। लड़कियाँ कच्चे मिट्टी के सछिद्र घड़े को सजाकर उसके चारों ओर नृत्य करती हैं, और गरबा नृत्य प्रस्तुत करती हैं। गर्भ दीप नारी की सृजनशक्ति का प्रतीक है और गरबा इसी दीप गर्भ का अपभ्रंश रूप है। समय के साथ गरबा का स्वरुप बदला है और माँ अम्बा के गीतों के साथ बॉलीवुड के डांस नम्बर्स ने भी अपनी जगह बना ली। आज यहाँ पर युवा बॉलीवुड के डांस नम्बर्स पर खूब नृत्य करते हैं। गुजरात में हर क्षेत्र में एक अलग प्रकार का गरबा देखने को मिलता है। अहमदाबाद का अलग गरबा, राजकोट का शेरी गरबा और बड़ोदा का विशाल गरबा।

Folk dance- in Navratri festival Gujarat

हमने अहमदाबाद का विशाल गरबा देखा और राजकोट के छोटे छोटे पंडाल देखे साथ ही शेरी गरबा भी देखा। शेरी गरबा को मोहल्लों में किया जाने वाला गरबा भी कहा जा सकता है। इसके लिए आपको राजकोट की गलियों में जाना होगा। छोटी छोटी लड़कियों द्वारा माँ अम्बा की स्तुतिगान और गरबा नृत्य मन को मोहने वाला होता है। गरबा यहाँ का लोक नृत्य है लेकिन आज यह पूरे विश्व में अपनी पहचान रखता है।

Garba in Navratri festival is a festival of people in Gujarat

देश-विदेश से लोग गरबा का मजा लेने के लिए गुजरात आते हैं। इस दौरान बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग पारंपरिक गानों के साथ आधुनिक गानों पर भी थिरकते हैं। लाइव बैंड के साथ लोक गायक और बॉलीवुड के गायक गीत प्रस्तुत करते हैं। पूरी रात यहाँ सड़कों पर चहल पहल रहती है। पूरा नगर नवरात्रि के रंग में डूबा होता है। लड़के लड़कियां झिलमिलाते कॉस्टयूम्स में सजे एक पंडाल से दूसरे पंडाल में डांडिया खेलने जाते हैं।

Navratri festival is very famous in the world

फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत की धरोहर के किसी और अनमोल रंग के साथ
तब तक आप बने रहिये मेरे साथ

Kaynat Kazi -Garba in Navratri festival Gujarat

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी

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