हर लिहाज़ से अनोखा है पटौदी पैलेस
भारत में एक से बढ़कर एक रियासतें हुई हैं। आज भले ही राजा रजवाड़े नहीं रहे लेकिन उनके निशान अभी भी मिलते हैं। इस सीरीज़ में मैं आपको कुछ ऐसी ही रियासतों की सैर करवाने वाली हूँ। यह छोटी छोटी रियासतें आज भी अपने खानदानों की विरासतों को सहेजे हुए है। आप भले ही राजा रजवाड़ों ,नवाबों के समय में नहीं जा सकते लेकिन एक छोटा सा हॉलिडे आपको उस समय के शहाना अंदाज़ से रूबरू तो करवा ही सकता है। और सबसे मज़ेदार बात यह है की यह जगहें सिर्फ कुछ घंटों की ड्राइव पर ही मौजूद हैं। तो फिर देर किस बात की है चलिए मेरे साथ विरासतों को खंगालने , हो सकता है इस ट्रिप पर आपको किसी फोर्ट की राजकुमारी या नवाब साहब से मिलने का मौक़ा मिल जाए।
इस बार हम जा रहे हैं दिल्ली से सटे हुए हरियाणा के पटौदी गांव में। यहाँ हम देखेंगे शानदार पटौदी पैलेस। गुरुग्राम से 26 किलोमीटर दूर पटौदी में बना यह सफेद महल नवाब पटौदी परिवार की धरोहर है। इस पैलेस का निर्माण सन 1935 में नवाब इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दकी ने कराया था। नवाब इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दकी नवाब मंसूर अली उर्फ नवाब पटौदी के पिता हैं। आप इन्हें नवाब पटौदी जोकि भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार कैप्टेन भी रहे हैं के नाम से ज़्यादा पहचानेगे।
कहते हैं पटौदी की जागीर इस ख़ानदान के पास मुग़लों की सेना में अपना शौर्य दिखाने के एवज़ में इनाम बतौर आई। इस सफ़ेद महल का आर्किटेक्चर देखने लायक है। यहाँ घूमते हुए मुझे यहाँ के वास्तु में कनॉट प्लेस की झलक दिखाई दी और क्यों न हो इन दोनों संरचनाओं में एक गहरा रिश्ता है। जी हाँ इस महल को भी उसी ब्रिटिश वास्तुकार ने बनाया है जिसने कनॉट प्लेस का नक़्शा बनाया था। उस महान आर्किटेक्ट का नाम रोबर्ट टोर रसेल है। यहाँ के लोग बाते हैं कि नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी को कनॉट प्लेस को डिजाइन बहुत पसंद था इसीलिए उन्होंने निश्चय किया कि उनके महल का डिजाइन भी रोबर्ट टोर रसेल ही तैयार करेंगे।
कोलोनियल मेंशन आर्किटेक्चर में बने इस आलीशान महल में १५० कमरे हैं. बड़े से बग़ीचे से घिरा यह पैलेस नवाब ख़ानदान का निवास था कभी. पटौदी का नवाब ख़ानदान कितना एडवांस था इसका अंदाज़ा आपको यहाँ आकर ही लग जाएगा. इस पैलेस में कमरों के नाम भी अंग्रेजी स्टाइल में रखे गए हैं। पैलेस के पीछे एक शानदार पूल बना है। जहाँ बैठ कर मज़े से एक सुहानी शाम बिताई जा सकती है। पैलेस के गार्डन में कह खूबसूरत फुव्वारा भी है। इस पैलेस में कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। हरे भरे गार्डन में कई मोर नाचते हुए आपका दिल खुश कर देंगे। दिल्ली के नज़दीक होने के कारण वीकेंड के लिए यह एक अच्छा डेस्टिनेशन है। आप भी दो दिन के लिए एक नवाब का जीवन जी सकते हैं।
कैसे पहुंचे ?
दिल्ली से मात्र 61 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पटौदी पैलेस राष्ट्रीय राजमार्ग 48 से बड़े आराम से 2 घंटे की ड्राइव से पहुंचा जा सकता है।