इस समर हॉलिडे में जाएं इन पांच ऑफ बीट डेस्टिनेशन्स पर
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गर्मियाँ आई नही कि बच्चे हों या बड़े सब को समर हॉलिडे पर जाने का का इंतिज़ार होने लगता है। सबके दिमाग़ मे यही एक सवाल होता है कि इस बार की छुट्टियों में कहाँ जाया जाए?
अगर आप भी शिमला कुल्लू मनाली और नैनीताल मसूरी, दार्जिलिंग जैसे रूटीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन देख कर बोर हो चुके हैं और सोच रहे हैं कि इस बार कहाँ जाएँ? तो मैं आपकी इस प्राब्लम को सोल्व करने के लिए अपने ट्रेवल के ख़ज़ाने में से लेकर आई हूँ ऐसे ही पाँच ऑफ बीट डेस्टिनेशन जहाँ पर आपको अपनी छुट्टियाँ बिताना नई ऊर्जा से भर देगा।
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हिमालय की गोद में करें कैम्पिंग
शहरी भाग दौड़ से भरी ज़िन्दगी में अगर बोरियत आ घेरे तो उसे दूर करने का सबसे सरल उपाय है कि कुछ दिन प्रकृति की गोद में गुज़ारे जाएं। जहां न कोई ऑफिस का ईमेल करने की चिंता हो और न ही फेसबुक पर अपडेट करने की बेचैनी। एक ऐसी जगह जहां फ़ोन भी सिर्फ़ ज़रूरत भर का काम करे। कहते हैं इतने सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से घिरे रहने के कारण हमारे अंदर की जो बायलोजिकल क्लॉक है, वह गड़बड़ा जाती है। उसे वापस से ठीक चलाने के लिए दो दिन का प्रकृति का सानिध्य काफ़ी होता है। हिमालय में ऐसी कितनी ही खूबसूरत वैलियां हैं जहाँ पाइन के जंगल के बीच में आप तारों भरे आकाश तले कैंपिंग का मज़ा ले सकते हैं। जैसे सोलन में गिरी कैम्प।
गिरी कैम्प हिमाचल के सोलन जिले में पड़ता है। दिल्ली से चंडीगढ़ और चंडीगढ़ से हिमालयन एक्सप्रेस-वे से होते हुए सोलन पहुंचा जा सकता है। सोलन के बाद से ही इस यात्रा का असल रोमांच शुरू होता है। सोलन से राजगढ़ रोड पर बीस किलोमीटर चलने के बाद लगभग 12 किलोमीटर का कच्चा पहाड़ी रास्ता शुरू होता है और आगे जाकर गिरी नदी की तलहटी से जा मिलता है। यहाँ आकर कच्ची रोड भी समाप्त हो जाती है और असल ट्रेकिंग शुरू होती है। नदी के सहारे सहारे लगभग 2-3 किलोमीटर तक चलते हैं और फिर एक ऐसी जगह पहुँचते हैं जहाँ पर कच्ची सड़क भी समाप्त हो जाती है।यहाँ से आगे नदी पार करके गिरी कैम्प में पहुंचना होता है। हरी घांस के मैदान पर लाल रंग के सजीले छोटे-छोटे कैम्प किसी जंगली फूल की तरह बहुत सुन्दर दिख रहे थे।
यह जगह बहुत सुन्दर है। नदी के किनारे थोड़ा ऊंचाई पर बना गिरी कैम्प और उसके चारों ओर देवदार के पेड़ों से ढंके पहाड़ों की ऊँची-ऊँची चोटियां।आप यहाँ दो दिन खुले आकाश तले कैम्प में गुज़ार सकते हैं और साथ ही कैम्प को छू कर गुज़रती नदी में वॉटर स्पोर्ट्स का मज़ा भी ले सकते हैं। यह नदी इतनी शांत है कि बच्चे भी स्विमिंग का मज़ा ले सकते हैं।
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आरु वैली-पहलगाम में उठाएं मज़े लश ग्रीन मेडोज़ के
पहलगाम के बारे मे तो सभी जानते हैं लेकिन किसी ऐसी जगह के बारे मे मैं आपको बताऊं जोकि पहलगाम से भी ज़्यादा खूबसूरत है तो क्या आप विश्वास करेंगे? जी हाँ पहलगाम कश्मीर का एक जाना-माना टूरिस्ट डेस्टिनेशन है और जो भी कश्मीर जाता है वो श्रीनगर के बाद पहलगाम ज़रूर जाता है। इसलिए भी यह जगह हमेशा सैलानियों से भरी रहती है। लेकिन आप ऐसी जगह देखना चाहते हैं जहाँ कि बहुत ज़्यादा टूरिस्ट नही जाते तो पहलगाम से ऊपर एक जगह है आरू वैली। यहाँ तक पहुँचने के लिए 1 घंटे से भी कम का समय लगता है। यह एक खूबसूरत वैली है। जहाँ पहुँच कर आपका वापस आने का मन नही करेगा। उँचे उँचे देवदार के पेड़ों से घिरी हुई यह वैली हरे भरे घँस के मैदानों से घिरी होने से और भी खूबसूरत लगती है।
3.पैराग्लाइडिंग करें बीड़ बिलिंग में
अगर आप एडवेंचर के शौक़ीन हैं तो पालमपुर, हिमाचल के पास बीड़ बिलिंग हो आइये और लुत्फ़ उठाइये पैराग्लाइंग का। यह जगह पैराग्लाइडिंग के लिए विश्व विख्यात है। आपको जान कर हैरानी होगी कि बीड़ बिलिंग अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक खास पहचान रखता है। यहाँ हर साल देश विदेश से लोग पैराग्लाइडिंग की प्रतियोगिता मे हिस्सा लेने आते हैं। यहाँ पैराग्लाइडिंग के अलावा टी गार्डेन्स भी हैं और बहुत सुन्दर मोनेस्ट्री भी हैं। मज़े की बात यह है कि यहाँ रूटीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन वाला क्राउड नही होता है। आप मज़े से पैराग्लाइडिंग का मज़ा उठा सकते हैं। पालमपुर के नज़दीक ही कालका टॉय ट्रेन भी है।जोकि यूनेस्को द्वारा घोषित वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। तो हुआ न बच्चो के लिए एक और अट्रेक्शन
4.मिरिक-चाय बागानों और मीठे फल वाले पेड़ों से घिरा पर्यटन स्थल है।
मिरिक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले में स्थित एक मनोरम हिल स्टेशन है। हिमालय की वादियों में बसा छोटा-सा पहाड़ी क़स्बा मिरिक पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसके पीछे कई कारण हैं। एक तो यह कि पश्चिम बंगाल में यह सबसे ज़्यादा आसानी से पहुंचने वाला स्थान है, दूसरा यहां रूटीन हिल स्टेशन जैसी भीड़ भाड़ नहीं है। इस जगह के बारे में अभी बहुत लोग नहीं जानते हैं इसलिए भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता बरक़रार है।
यहां का बेहद शांत माहौल लोगों को सुकून देता है। मिरिक शहर के बीचों बीच एक मानव निर्मित झील है, जिसे सुमेंदू लेक कहते हैं। जिसके बीचों बीच एक फ्लोटिंग फाउंटेन है। यह झील लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बी है। जिसके किनारे किनारे देवदार के ऊंचे वृक्ष लगे हुए हैं। ऐसा लगता है मानो ऊँचे ऊँचे यह देवदार वृक्ष इस झील की सुरक्षा के लिए खड़े हैं। कोहरे के दुशाले में लिपटी यह झील कुछ पल वहीँ ठहरजाने को मजबूर कर देती है। यहां बोटिंग भी की जा सकती है। झील के आसपास कई छोटे छोटे रस्टॉरेंट हैं जहां बैठ कर गर्म गर्म चाय और नेपाली खाने का आनंद लिया जा सकता है। इन रेस्टॉरेंट से सटी हुई भूटिया लोगों की दुकाने हैं जहां गर्म हाथ से बुने ऊनी वस्त्र जैसे मोज़े, दस्ताने रंग बिरंगे मफ़लर आदि मिलते है। मिरिक बाजार से थोड़ा दूर ऊंचाई पर एक मोनेस्ट्री है। यह बहुत ही सुन्दर मॉनेस्ट्री है। पहाड़ी के शिखर पर बनी यह मॉनेस्ट्री बहुत खूबसूरत है। इसका नाम-बोकर नागदोन चोखोर लिंग मोनेस्ट्री है। यहां से हिमालय पर्वत शृंखला में कंचनजंगा के अद्भुत दृश्य भी दिखाई देते हैं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत सुंदर नजारा देखने को मिलता हैं। यहां पर मिलने वाले प्राकृतिक नज़ारे बहुत हद तक दार्जिलिंग से मिलते जुलते हैं, शायद इसी लिए लोग इसे मिनी दार्जिलिंग भी कहते हैं। मिरिक में फलों के बागान भी हैं। सिलीगुड़ी से दो घंटे के सड़क मार्ग से यात्रा के बाद मिरिक पहुंच सकते हैं।
5.कारगिल-जीवन में एक बार ज़रूर जाएं।
श्रीनगर से लेह के बीच पड़ने वाला कारगिल किसे याद न होगा। जोज़िला पास को क्रॉस कर यहां तक पहुंचना जितना रोमांचकारी है उससे ज़्यादा भावुक अनुभव और अलौकिक अनुभव शहीद स्मारक पर होना है। भारत पाकिस्तान युद्ध की आँखों देखी कहानी सुनाने के लिए शहीद स्मारक पर पहुँचने वाले सैलानियों को भारतीय सेना के एक जवान द्वारा ब्रीफिंग दी जाती है। शहादत की उस दास्तान को सुनकर लगता है कि जैसे हम भी कर्नल बत्रा के साथ वहाँ मौजूद थे। यहाँ एक संग्रहालय भी है जिसमे युद्ध से जुड़ी हुई यादें संग्रहित की गई हैं। शाहीद स्मारक के बराबर मे वीर जवानों की समाधियाँ लाइन से बनाई गई हैं। जिसे देख कोई भी अपने आँसू नही रोक पाता। साहस और बलिदान को समर्पित इस स्मारक को अपने बच्चों के साथ देखने एक बार ज़रूर जाएँ। शहीद स्मारक के अलावा कारगिल में हिमालय के प्राकृतिक नज़रों की भी कोई कमी नहीं है।