एक रंग होली का ऐसा भी-होला मुहल्ला, आनंदपुर साहिब-पंजाब, दूसरा दिन
Senior Nihang with twenty KG pagdi @Anandpur Sahib, Punjab
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जितना चुस्त घोड़ा उतना ही फुर्तीला उसका सवार। एक अलग ही तारतम्य होता है दोनों के बीच। स्टेडियम में जुलूस के दौरान घुड़सवारों की रेस भी होती है जिसमे एक सवार, एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार-चार घोड़ों को क़ाबू किये अपनी कला का प्रदर्शन करता है।
कोई अपनी पग ठीक कर रहा है, कोई नन्हें सरदार की पगड़ी बांध रहा है। कोई बीस किलो की केसरिया और नीली दस्तार को आभूषणों से सजा रहा है। तो कोई भांग घोंट रहा है।
इन सभी के बीच एक छोटा नन्हा सरदार किसी योद्धा की तरह जुलूस में शामिल होने के लिए तैयार हो रहा है, सीने पर लोहे की छोटे-छोटे छल्लों से बना सुरक्षाकवच, सिर पर लोहे का वज़नी हेलमेटनुमा टोप, हाथ में शाही तलवार और होंटों पर चंचल मुस्कान। इस वीर सरदार के सदक़े, उसके हौंसले के सदक़े।
Procession @Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang with advance weapon @Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang with advance weapon @Anandpur Sahib, Punjab |
Senior Nihang with twenty KG pagdi @Anandpur Sahib, Punjab |
हर आते हुए दल के साथ माहौल में जोश और उत्साह बढ़ रहा है। सभी डेरेदार स्टेडियम में दाखिल हो रहे हैं। यह लोग ग्रुप में आते हैं और अपनी-अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन करते हैं। इस ग्रुप में हर उम्र के लोग होते हैं, बुज़ुर्ग से लेकर छोटे बच्चों तक। इनके युद्धकला के करतब देख कर आप भी दांतों तले ऊँगली दबा जाएंगे। खुली जीपों पर सवार दल मुनादी की थाप पर मंच के आगे से गुज़रते जाते हैं। हथियारों का ऐसा खुला प्रदर्शन केवल आनंदपुर साहिब में ही किया जा सकता है।
Senior Nihang showing power of worrier art@Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang @Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang showing power of worrier art@Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang showing power of worrier art@Anandpur Sahib, Punjab |
Procession@Anandpur Sahib, Punjab |
KK @Anandpur Sahib, Punjab |
Beautiful post. I loved the experience of Hola Mohalla.
I see some issue with photographs shown. Some of the photographs are going outside my screen. I would suggest to keep longer edge of all photographs not more than horizontal display space of blog.