MPTravelMart-2015_KaynatKaziPhotography-20



Caravan from outside



इतने वर्षों की मेरी यात्राओं के दौरान एक कमी जो मैंने हमेशा महसूस की है वह है-पाबन्दी की। कहीं से जल्दी निकलने की और कहीं पर जल्दी पहुंचने की। 
 मैने खुद से यह सवाल बारबार किया है कि हम सब आख़िर घूमने क्यों जाते हैंऐसा क्या मिलता है कहीं घूमने जाने मे, जो आपको अपने घर मे, अपने शहर मे नही मिलता। बहुत सोचने के बाद मैने यह पाया है कि हम घूमने इसलिए जाते हैं कि हम अपने मन कोअपने दिलो दिमाग़ को हमारी रोज़ कि आपाधापी भरी ज़िंदगी से थोड़ा सुकून दे सकें, ब्रेक दे सकें। फिर से तरोताज़ा हो सकें। हम सब ऐसा सोच कर ही छुट्टियों का प्लान करते हैं कि रोज़ के अपने सेट रूटीन से थोड़ा ब्रेक लिया जाए। कुछ दिन प्राकृति के साथ सुकून से गुज़ारे आए। जहां पर ऑफिस जाने कि हड़बड़ाहट ना हो, कहीं टाइम से पहुंचने की बेचैनी ना हो
शायद खुद को पंख फैला कर उड़ने का, बंधनों से मुक्ति काआज़ादी का अनुभव करवाना चाहते हैं हम सभी। कुछ दिन बिना किसी बोझ और मानसिक तनाव के। शायद हम सभी ऐसा ही कुछ सोच कर घूमने का प्लान करते हैं। पर वास्तव में होता क्या होहम छुट्टी प्लान करते हैं,पहले से टिकट बुक करते हैं, कहां कहां जाएंगे उसकी सारी जानकारी जुटाते हैं और फिर होटल बुक करते हैं, जैसे दो दिन शिमला, एक दिन कुल्लू और दो दिन मनालीऔर फिर इसी हिसाब से हर जगह होटल भी बुक करते हैं और यह बिल्कुल भूल जाते हैं कि हम जिन बंधनों और तनावों से बचने के लिए छुट्टी पर जा रहे थे व बंधन तो हम खुद अपने साथ लिए जा रहे हैं शिमला पहुंचने से पहले ही चिंताएं घेर लेती हैं कि टाइम से नही पहुंचे तो कहीं होटलवाला रूम किसी और को ना दे दे। फिर शिमला पूरी तरह से एंजाय भी नही किया होता कि टाइम से कुल्लू पहुंचने की चिंता घेर लेती है, और अगर खुद ड्राइव कर रहे हों हो फिर चिंता और बढ़ जाती है। टाइम से पहुंचने कि चिंता, रात ज़्यादा ना हो जाए इसकी चिंता। फिर जैसे तैसे कुल्लू पहुंच भी गए तो वहां भी सुकून से रहा नही जाता, और वहां से और आगे जाने फिर वापस घर पहुंचने कि चिंता लगातार हमारे दिमाग को घेरे रहती है। और इस तरह पूरा ट्रिप चिंता मे ही निकल जाता है। काश के कभी ऐसा होता कि कहीं पहुंचने कि चिंता ना होती, जहां रुकने का मन करे रुक गए, और जितने दिन ठहरने का मन करे ठहर गए। मैं अक्सर हिमालय मे घूमते हुएराजिस्थान मे घूमते हुए हमेशा से ऐसा सोचती थी। कुछ जगहें ऐसी होती हैं कि मन करता है कि यहां से जाया ही ना जाए। एक दो दिन और रुका जाए। पर मैं ऐसा कभी कर नही पाई। पहले से ही मेरा शेड्यूल इतना कसा हुआ होता था कि कहीं कोई गुंजाइश ना रहती। लेकिन इस बार जब मध्य प्रदेश पर्यटन के पर्यटन मेले में गई तो कुछ ऐसा देखने को मिला जिससे देख दिल खुश हो गया। मैं बात कर रही हूं- कैरावैन की। आऐं आपको भी इसका अंदर से दीदार करवाते हैं।

Caravan from inside-Drawing room

 कैरावैन एक ऐसी गाड़ी है,जोकि एक बस के बराबर लम्बी और चौड़ी है। जिसमे आपका पूरा का पूरा घर समाया हुआ है। आप अपने पूरे परिवार के साथ इसमे घूम सकते हैं। इसमे घूमते हुए आपको होटल बुक करने कि भी ज़रूरत नही है। आप का बेडरूम, ड्रॉयिंग रूम, बाथरूम यहां तक कि किचन भी इसी मे मौजूद है। इस कैरावैन में भारतीय कुकिंग के साथ साथ वेर्स्टर्न कुकिंग के लिए भी पूरा इंतज़ाम किया गया है। 

indore kitchen@Caravan

यहां के सिटिंग एरिआ में बैठ कर आप बाहर के नज़रों का मज़े से आनंद ले सकते हैं। 

Sitting area@Caravan


आप जहां चाहें वहां रोक कर प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं और खाना भी बना सकते हैं। ज़रा सोच के देखिये किसी नदी के किनारे घांस के मैदान में एक तरफ आपने अपना कैरावैन खड़ा किया हो और खुले आकाश के नीचे आराम कुर्सी पर बैठ कर शाम की चाय की चुस्कियों का मज़ा लेते हुए सनसेट को देखना कितना ख़ुशनुमा एहसास होगा,और ऐसे में आपके साथ आपका कोई ख़ास हो तो वो शाम कितनी दिलफरेब बनजाएगी।

इस कैरावैन मे आठ लोगों के लिए जगह है। अगर आपका परिवार छोटा है तो आप छोटा कैरावैन भी ले सकते हैं। इसमे आधुनिक सुख सुविधाओं का पूरा ख़्याल रखा गया है। यहां एलसीडी टीवी, डी टी एच और वाई-फ़ाई भी मौजूद है। यह समझिए कि आप को चलता फिरता स्टूडियो अपार्टमेंट मिल रहा है। जहां है बैठने के लिए आरामदायक सोफ़ा। पढ़ने के लिए स्टडी टेबल है। 

TV Lounge@Caravan

 

Reading area@Caravan

 

Outdoor kitchen @Caravan

 

Restroom@Caravan


 भारत में कैरावैन टूरिज़्म की अनोखी शुरुवात हुई है हिन्दुस्तान के दिल से। मध्य प्रदेश टूरिज़्म ने पर्यटकों की बदलती ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत के लिए नया माने जाना वाला कौन्सेप्ट कैरावैन टूरिज़्म शुरू किया है। विदेशों मे तो यह चलन बहुत पुराना है पर भारत के लिए अभी नया है। कैरावैन मे भ्रमण करने के दौरान आपकी सुरक्षा का ख़ास ध्यान रखा गया है इसलिए कैरावैन में एक ड्राइवर और क्लीनर की व्यवस्था भी की गई है। जिससे ड्राइव करने के झंझट से भी छुटकारा मिलता है। अगर आप रात में ट्रॅवेल ना करना चाहें तो एमपी टूरिज़्म के किसी भी होटल की पार्किंग मे अपना कैरावैन लगा कर रात बिता सकते हैं। यह पूरी तरह सुरक्षित होते हैं। वैसे आपके क़ीमती समान के लिए अंदर लॉकर भी दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाला यह कैरावैन आपका मन मोह लेगा। आप भी जीवन में एक बार इससे यात्रा करना ज़रूर चाहेंगे। यह अनुभव अपने आप में बड़ा ही अनोखा है। मुझे विश्वास है कि कुछ वर्षों में कैरावैन टूरिज़्म हमारे देश में पर्यटन का तरीका ही बदल देगा। यह एक ऐसा विकल्प है जिसके ज़रिये हम अपने घर के बुज़ुर्गों को भी आराम के साथ घूमने ले जा सकते हैं। 

फिर मिलेंगे दोस्तोंघुमक्कड़ी से जुड़े किसी नए अफ़साने के साथ

तब तक के लिए खुश रहियेघूमते रहिये।

और ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ.

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

 

5 COMMENTS

  1. Lovely to see Alka here 🙂

    p.s. well, its terrible that I am leaving a comment in English here – but I really don't know how to use the laptop keyboard to type in Hindi! Next time I shall certainly comment in Hindi 🙂

  2. सिद्धार्थ] मैंने भी खूब लुत्फ उठाया इस कैरावान मॉडलिंग के अवसर का! उम्दा फोटोग्राफरों की कंपनी ऐसे ही पैम्पर करती है 🙂

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