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Mirik town from Hill top
 
 बरसात के मौसम में मिरिक बेहद खूबसूरत और हरा भरा नज़र आता है। अगर आप एडवेंचर के शौक़ीन हैं तो एक बार मिरिक बरसात में ज़रूर जाएं। प्रकृति के बेहद हसीं करिश्मे देखने को मिलेंगे। कभी बादल इतने निचे आजाएगा कि आप उसके बीच से होकर गुज़र जाएँगे। रास्तों में जगह जगह बरसाती झरने आपका स्वागत करेंगे। लेकिन कंचनजंघा का नज़ारा गर्मियों में ज़्यादा अच्छा दीखता है। ऊंचाई पर होने के कारण यहां सर्दियों में अधिक ठण्ड पड़ती है।
 
 मिरिक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले में स्थित एक मनोरम हिल स्टेशन है। हिमालय की वादियों में बसा छोटा सा पहाड़ी क़स्बा मिरिक पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसके पीछे कई कारण हैं। एक तो यह कि पश्चिम बंगाल में यह सबसे ज़्यादा आसानी से पहुंचने वाला स्थान है, दूसरा यहां रूटीन हिल स्टेशन जैसी भीड़ भाड़ नहीं है। इस जगह के बारे में अभी बहुत लोग नहीं जानते हैं इसलिए भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता बरक़रार है।
 
Tea gardens on the way to Mirik
 
 
 इस जगह को आकर्षक बनाने में इसकी भौगोलिक स्थिति का बड़ा हाथ है। मिरिक समुद्र तल से 4905 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, और चाय के ढालदार पहाड़ियों से घिरा हुआ है। मिरिक के जंगली फूल, सुंदर झीलें और क्रिप्‍टोमेरिया जापानिका के पेड़ मिरिक को एक उष्‍ण कटिबंधी स्‍वर्ग बनाते हैं। छोटा सा मिरिक अपने में समेटे है, बोकर गोम्पा, सुमेंदू लेक, सिंघा देवी मंदिर, हनुमान, शिव और माता काली मंदिर।
 
 यह जगह जितनी खूबसूरत है उससे भी ज़्यादा खूबसूरत है यहां तक पहुंचने का रास्ता। चाय के बागानों से होता हुआ नदियों झरनों को लांघता हुआ, और झुक आए बादलों को चूमता हुआ। दिल को अंदर तक तर कर देने वाली ख़ुशी जैसा।
 
A waterfall on the way to Mirik
 
यहां का बेहद शांत माहौल लोगों को सुकून देता है। मिरिक शहर के बीचों बीच एक मानव निर्मित झील है, जिसे सुमेंदू लेक कहते हैं। जिसके बीचों बीच एक फ्लोटिंग फाउंटेन है। यह झील लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बी है। जिसके किनारे किनारे देवदार के ऊंचे वृक्ष लगे हुए हैं। ऐसा लगता है मानो ऊँचे ऊँचे यह देवदार वृक्ष इस झील की सुरक्षा के लिए खड़े हैं. कोहरे के दुशाले में लिपटी यह झील कुछ पल वहीँ ठहरजाने को मजबूर कर देती है।  यहां बोटिंग भी की जा सकती है। झील के आसपास कई छोटे छोटे रस्टॉरेंट हैं जहां बैठ कर गर्म गर्म चाय और नेपाली खाने का आनंद लिया जा सकता है। इन रेस्टॉरेंट से सटी  हुई भूटिया लोगों की दुकाने हैं जहां गर्म हाथ से बुने ऊनी वस्त्र जैसे मोज़े, दस्ताने रंग बिरंगे मफ़लर आदि मिलते है.
 
Sumendu Lake
 
Local people love to feed Fishes in the lake
 
इस झील में फिशिंग भी की जाती है। लोग यहां मछलियों को खाना खिलाते हैं। मिरिक बाजार से थोड़ा दूर ऊंचाई पर एक मोनेस्ट्री है। यह बहुत ही सुन्दर मॉनेस्ट्री है। पहाड़ी के शिखर पर बनी यह मॉनेस्ट्री बहुत खूबसूरत है। इसका नाम-बोकर नागदोन चोखोर लिंग मोनेस्ट्री है.
 
Bokar Ngedon Chokhor Ling Monastery
 
Small Lamas are running towards Monastery 
 
इस मोनेस्ट्री की स्थापना बौद्ध धर्मगुरु क्याब्जे बोकर रिम्पोचे ने 1984 में की थी। आज यहाँ लगभग 500 छात्र बौद्ध धर्म की विधिवत शिक्षा ग्रहण करते हैं। 
 
 यहां से हिमालय पर्वत शृंखला में कंचनजंगा के अद्भुत दृश्‍य भी दिखाई देते हैं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत सुंदर नजारा देखने को मिलता हैं। यहां पर मिलने वाले प्राकृतिक नज़ारे बहुत हद तक दार्जिलिंग से मिलते जुलते हैंशायद इसी लिए लोग इसे मिनी दार्जिलिंग भी कहते हैं।


 
 
मिरिक में फलों के बागान भी हैं। पश्चिम बंगाल में संतरा सबसे ज़्यादा यहीं पैदा होता है। मिरिक में ठहरने के लिए कई होटल हैं।
 
कब जाएं:-
वर्ष में कभी भी जाया जा सकता है। हर मौसम में इस जगह के नज़रे अद्भुत हैं। बरसात के मौसम में मिरिक बेहद खूबसूरत और हरा भरा नज़र आता है। अगर आप एडवेंचर के शौक़ीन हैं तो एक बार मिरिक बरसात में ज़रूर जाएं। प्रकृति के बेहद हसीं करिश्मे देखने को मिलेंगे। कभी बादल इतने निचे आजाएगा कि आप उसके बीच से होकर गुज़र जाएँगे। रास्तों में जगह जगह बरसाती झरने आपका स्वागत करेंगे। लेकिन कंचनजंघा का नज़ारा गर्मियों में ज़्यादा अच्छा दीखता है। ऊंचाई पर होने के कारण यहां सर्दियों में अधिक ठण्ड पड़ती है। 
 

कैसे जाएं:-

वायु मार्ग- मिरिक से बगडोगरा का एयरपोर्ट सबसे नजदीक है. यहां से इसकी दूरी 55 किलोमीटर है
 
रेलमार्ग- मिरिक से सबसे नजदीक न्यू जलपाईगुड़ी का स्टेशन पड़ता है
सड़क मार्ग- सिलीगुड़ी से दो घंटे में मिरिक पहुंच सकते हैं
 
 
फिर मिलेंगे दोस्तों हिमालय के किसी और छुपे हुए नगीने को देखने 
तब तक खुश रहिये और घूमते रहिये। 
 
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त 
 
डा ० कायनात क़ाज़ी 

KK on the way to Mirik


9 COMMENTS

  1. महेंद्र जी, मेरा ब्लॉग पसंद करने के लिए हृदय की गहराइयों से आभार। ऐसे ही मेरे ब्लॉग पर आते रहिएगा। आपके कॉमेंट मुझे और अच्छा लिखने की प्रेरणा देते हैं ।

  2. प्रवीण जी,
    मेरे ब्लॉग को पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। मेरे ब्लॉग पर ऐसे ही आते रहिएगा।

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