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केरल जाएं और कथकली नृत्य की प्रस्तुति न देखें ऐसा तो नहीं सकता। और  अच्छी बात है कि इसके लिए आपको अलग से कोई मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है। फोर्ट कोच्ची इलाके में ही कई ऐसे संस्थान है जो इस नृत्य कला को प्रमोट करने के लिए कार्यक्रम चलाते हैं और हर शाम इसकी प्रस्तुति की जाती है। मैंने फोर्ट कोच्ची में घूमते हुए कई बोर्ड देखे जिनपर कथकली नृत्य की प्रस्तुति की जानकारी अंकित थी।

चाइनीज़ नेट के पास घूमते हुए मेरी नज़र कोचीन सांस्कृतिक केन्द्र Cochin Cultural Centre पर पड़ी। यह जगह संगमम माणिकथ रोड पर स्थित है। फोर्ट कोच्ची बस स्टैण्ड के बराबर। आप दिन में किसी भी समय जाकर टिकट ले सकते हैं। यहाँ हर रोज़ शाम को 6 बजे से यह नाट्य प्रस्तुति की जाती है।

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An artist getting ready for the Kathakali performance

अगर आप पारंपरिक नृत्य शैलियों को पसंद करते हैं तो इन डांस परफॉरमेंस के शुरू होने से 1 घंटा पहले जाएं। आपको इन कलाकारों का मेक अप होते हुए देखने को मिल जाएगा। जोकि मुख्य मुख्य नाट्य प्रस्तुति से भी ज़्यादा रोचक है। यह लोग बड़ी तन्मयता से अलग अलग पात्रों के अनुसार  श्रृंगार करते हैं। कथकली में मेक अप  का अहम रोल है। इस नाट्य मण्डली में एक मेकअप मेन भी होता है। कलाकार पहले अपने आप बेसिक मेकअप करते हैं फिर मेकअप मेन जिसे chuttikaran कहा जाता है वह मेकअप को पूरा करता है। जिसमें सफ़ेद रंग की दाढ़ी लगाना बड़ी महारत का काम है। यह सभी  रंग प्राकृतिक स्त्रोतों से लिए गए होते हैं।

 

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Applying mack-up is a fine art in Kathakali. Theppu is the first stage where the artist himself applies the basic facial paintings.

कथकली नृत्य को एन्जॉय करने के लिए ज़रूरी है कि इस नृत्य शैली को जाना जाए। कथकली का एक समृध्द इतिहास है। ऐसा माना जाता है कि कथकली नृत्य कला 17 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जन्मी।राजा कोट्टाराक्करा तंपुरान ने रामनाट्टम नृत्य कला का अविष्कार किया और कालांतर में यह नृत्य कला कथकली के रूप में विकसित हुई। तब से आज तक इस नृत्य कला में कई बदलाव हुए। कालांतर में इस नृत्य शैली को कई बड़े राजाओं का सहयोग मिला जैसे तिरूवितांकूर के महाराजा कार्तिक तिरूनाल, रामवर्मा, नाट्यकला विशारद कप्लिंगाट्ट नारायणन नंपूतिरि आदि।

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Applying mack-up is a fine art in Kathakali. Theppu is the first stage where the artist himself applies the basic facial paintings.

इन सभी ने इस कला को निखारने में अपना योगदान दिया। यह नृत्य कला दक्षिण में कोचीन, मालाबार और ट्रावनकोर क्षेत्र के आस पास प्रचलित नृत्य शैली है। इस नृत्य कला केरल की सुप्रसिद्ध शास्त्रीय रंगकला का दर्ज प्राप्त है। इस नृत्य कला का सबसे आकर्षक पहलु है इसकी वेशभूषा। बड़े और विशाल वस्त्र और मुखोटे। पूरी वेश भूषा में चटख रंगों का प्रयोग। यह कलाकार बड़ी मेहनत और लगन से अपना श्रृंगार करते हैं।

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Applying mack-up is a fine art in Kathakali. Theppu is the first stage where the artist himself applies the basic facial paintings.

रंगों से भरी वेशभूषा धारण किये कलाकार अपने साथी कलाकार गायकों द्वारा गाये जाने वाली पौराणिक कथाओं को अपनी हस्त मुद्राओं और चेहरे के भावों द्वारा अभिनय प्रस्तुत करते हैं। कार्यक्रम के शुरू होने से पहले कलाकार दिप प्रज्जवलित कर नृत्य के देवता नटराज की स्तुति करते हैं। इस दीपक को आट्टविलक्कु कहा जाता हैं। नाट्य प्रस्तुति की शुरुवात कलाकार एक एक हस्त मुद्रा को दर्शकों को समझा कर करते हैं, साथ ही विभिन्न भावों को मुख और आँखों से प्रकट करके बताते हैं।

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The second stage of make-up: The Chuttikkaran (make-up man) puts the Chutti which forms the second stage of make-up.

 

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And the final touch ups

कथकली मुद्राएं

कथकली नृत्य कला में 24  मुख्य मुद्राएं होती हैं, जिन्हें हाथों से दर्शाया जाता है। जिनमे कुछ मुद्राएं एक हाथ से और कुछ दोनों हाथों से दर्शाई जाती हैं। कथकली में इन मुद्राओं द्वारा लगभग 470 सांकेतिक चिन्हों को दर्शाया जाता है। जैसे, पर्वत शिखर, तोते की चोंच, हंस के पंख,पताका आदि।

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Female Cherecter demonstrating Mudras before the final show of  Kathakali

तेज़ वाद्य यंत्र और ऊँचे स्वर में पूरी नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जाती है। कोचीन सांस्कृतिक केन्द्र में एक छोटा-सा सभागार है जिसमे एक छोटा मंच है जहाँ यह नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जाती है।  कथकली नृत्य के अलावा यहाँ मोहिनीअट्टम, भरतनाट्यम और कलरीपायट्टु आदि, केरल और दक्षिण भारत की पारंपरिक कलाओं की प्रस्तुति की जाती है। इन कलाओं के बारे में आप मेरी अगली पोस्ट में पढ़ सकते हैं। कथकली की एक प्रस्तुति देखने के लिए लगभग दो घंटे का समय लगता है। इसके बाद लड़कों द्वारा कलरीपायट्टु प्राचीन युद्धकला का प्रदर्शन किया जाता है। कथकली की प्रस्तुति से पहले एक घंटा मेक-अप का समय होता है उसके बाद कलाकार वस्त्र आदि पहनने के लिए ग्रीन रूम में चले जाते हैं इस बीच मोहिनीअट्टम और भरतनाट्यम की प्रस्तुति महिला कलाकारों द्वारा की जाती है। जबकि कथकली में सारे कलाकार पुरुष ही होते हैं।

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Hand Mudras

कार्यक्रम के बाद आप इन कलाकारों के साथ तस्वीरें भी खिंचवा सकते हैं।

 

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KK with the Kathakali perfomers after the show

आप कहीं मत जाइयेगा ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ, भारत के कोने-कोने में छुपे अनमोल ख़ज़ानों में से किसी और दास्तान के साथ हम फिर रूबरू होंगे।

तब तक खुश रहिये और घूमते रहिये।

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा ० कायनात क़ाज़ी

 

 

 

 

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