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कश्मीर पांचवां दिन 

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Floating Vegetable Market on Dal Lake

श्रीनगर की पहचान मानी जाने वाली डल लेक यहां के लोगों की ज़िन्दगी का अभिन्न हिस्सा है। इस लेक में शिकारा राइड लेने वाले सैलानी सिर्फ़ इसके बाहरी हिस्से का चक्कर लगा कर चले आते हैं। बाहर से छोटी दिखने वाली डल लेक अपने भीतर एक दुनियां समेटे हुए है, एक ऐसी दुनिया जिसमे घर है, पानी पर तैरते फ्लोटिंग खेत हैं, लोटस के बाग़ हैं, मीना बाजार है और कश्मीरी हस्थकला से जुड़ी छोटी छोटी इकाइयां भी हैं। इस दुनियां की झलक आपको किसी टूर पैकेज में नहीं मिलेगी। यह दुनियां है इन कश्मीरियों की और उनकी प्यारी डल लेक की। डल लेक इन कश्मीरियों की जान है। इसे देखने के लिए आपको थोड़ा भीतर जाना होगा। इनके रंग में रंगना होगा, और एक सैलानी का चोला उतारना होगा। मैंने महसूस किया है कि जो लोग कश्मीर जाते हैं उनके भीतर कहीं न कहीं एक आशंका पलती रहती है, एक अनकहा अविश्वास उनके साथ चलता है। अगर आप कश्मीर को नज़दीक से देखना चाहते हैं तो उसका एक  मन्त्र है। वह है विश्वास। 

On the way to Floating Vegetable Market on Dal Lake

आप इन कश्मीरियों पर भरोसा कीजिये फिर देखिये कैसे यह लोग आपको अपनी दुनिया से रूबरू करवाते हैं। मेरे दिल में भी एक अरसे से तमन्ना थी कि जब कश्मीर जाउंगी तो डल लेक के अंदर बसने वाली दुनियां देखूंगी। सो मैंने तय किया कि एक सुबह डल के भीतर लगने वाली वेजिटेबल मार्केट देखा जाए। यहां तक पहुंचने के लिए आपको शिकारा से जाना होगा। जिसे आपको एक रात पहले ही तय करना होगा। डल के अंदर लगने वाली यह मार्केट सुबह-सुबह ही लगती है। 

Vegetable sellers rushing to the market 

Lush green surroundings inside the Dal Lake will take your breath away

इसको देखने आपको सूर्योदय से पहले निकलना होगा। मैंने एक रात पहले ही शिकारा वाले गुलज़ार भाई से तय कर लिया। यह लोग पैसे बहुत मांगते हैं इसलिए थोड़ा मोल भाव ज़रूर करें। गुलज़ार भाई मुझे 600 रूपए में वेजिटेबल मार्केट लेकर जाने को राज़ी हो गए। तय हुआ की वह सुबह पांच बजे शिकारा लेकर घाट नंबर पांच पर मेरा इन्तिज़ार करेंगे। डल के भीतर की दुनियां देखने की इतनी बेचैनी थी की मैं रात भर आराम से सो भी न सकी और अलार्म बजने से पहले उठ गई। जल्दी जल्दी अपना कैमरा उठाया, जूते  पहने और कमरे  से बाहर आ गई। नीचे आकर देखा तो होटल का गेट बंद था। इधर उधर ढूंढा पर कोई न था। और सड़क के उस पार गुलज़ार भाई खड़े थे। क्या करूं कुछ समझ नहीं आया। अब तो बस गेट पर चढ़ कर फलांगना होगा। बहुत अरसे से ऐसा कुछ किया नहीं था सोचा आज यह भी हो जाए। मैंने पांच फुट की ऊंचाई का गेट चढ़ा और गुलज़ार भाई ने सहारा देकर मुझे नीचे उतरने में मदद की, मुझे जल्दी इस बात की हो रही थी कि डल में सुबह सुबह लगने वाली यह वेजिटेबल मार्केट कुछ ही देर में ख़त्म हो जाती है। इसलिए अगर समय से न पहुंची तो मुझे अच्छी तस्वीरें नहीं मिलेंगी। देख रहे हैं न आप एक फोटोग्राफर को एक अच्छी तस्वीर के लिए क्या क्या करना होता है। 

A good bargainer will win

बुलावार्ड रोड पर अभी भी रात का सन्नाटा पसरा हुआ है. हवा में ठंडक है। मैंने जल्दी जल्दी घाट की सीढ़ियां पार कीं सावधानी से शिकारा में जा बैठी और हम डल के भीतर, और भीतर की ओर बढ़े चले जा रहे थे। फ़िज़ा में ठंडी हवाओं के साथ मस्जिदों से आती एक के बाद एक आज़ानों की आवाजें घुल रही थीं। हम डल के पानियों पर तैरती होउसबोटों से आती अलसाई पीली रोशनियों को जगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। यह नज़ारा बड़ा ही दिलफरेब था। समंदर-सा गहरा डल का पानी अपने दामन पर कितनी ही बड़ी-बड़ी हाउस बोट का वज़न सेहता है और मुस्कुराता है। हम जैसे-जैसे डल के अंदरुनी इलाक़े में जाते जाते हैं हमे बड़े बड़े लिली के फ्लोटिंग खेत नज़र आते हैं। कुछ दूरी पर सब्ज़ियों के फ्लोटिंग खेत शुरू हो जाते हैं। 

Floating lilly fields inside the Dal Lake

 
खेतों के पार कहीं कहीं छोटे छोटे लकड़ी के घर बने हुए हैं। जिनके बाहर आंगन भी हैं। मुझे बड़ी  हैरानी हुई। जिस डल लेक की गहराई देख कर थोड़ी सिहरन पैदा होती है उसके बीचों बीच लोग बड़े आराम से रहते हैं। हमने लगभग बीस मिनट का फासला तय किया होगा कि हमें छोटी छोटी नावों पर कश्मीरी लोग सब्ज़ियां लेजाते हुए दिखने लगे। यह सभी डल में मुख्तलिफ दिशाओं में फैले हुए खेतों से सब्ज़ियां तोड़ कर लाते हैं और यहां बेचते हैं। कोई अपनी नाव में हरी सब्ज़ियां बेचने आया है तो कोई कद्दू और लौकी बेचने आया है। 

A pumpkin seller on the way to floating market

Sometimes exchange offer works better


किसी की नाव फूलों से भरी हुई है तो कोई टमाटर की सौदेबाज़ी में बिजी है। यह एक अद्भुत नज़ारा था। ऐसा भारत में कहीं और नहीं दिखाई देता। बाजार की यह हलचल कुछ ही देर में निपट जाती है और लोग वापसी की राह लेते हैं। आसमान पर घने बादल छाए हुए हैं। यहां डल में एक बेकरी भी है। कश्मीरी लोग चाय के साथ तंदूरी रोटी खाते हैं। वापसी में मैंने देखा कि एक जगह 4-5 किश्तियों को रोक कर यह सब्ज़ी व्यापारी गप्पें लड़ा रहे हैं और कश्मीरी चाय का आनंद ले रहे हैं। कश्मीरियों में कश्मीरी क़ेहवा के अलावा कई तरह की चाय मशहूर हैं। जिसमे नून चाय प्रमुख है। यह चाय नमकीन होती है।  

Relaxing hours

डल लेक जहां एक तरफ़ श्रीनगर की पहचान माना जाता है वहीँ इनलोगों का भावनात्मक जुड़ाव भी है इस जगह से, इसलिए भूल कर भी इन लोगों के सामने डल के पानी को गन्दा न कहें। 

वैसे इस वेजिटेबल मार्किट तक आप बाई रोड भी जा सकते हैं, यह मुझे वहां पहुंच कर ही मालूम पड़ा। सब्ज़ी मार्केट का एक सिर किसी सड़क से जुड़ा हुआ था। मैंने मालूम किया तो पता चला कि यह सड़क हज़रतबल तक जाती है। यह बात आपको कोई शिकारा वाला नहीं बताएगा। लेकिन मेरी सलाह है कि यह रास्ता सड़क के बजाए शिकारा से ही तय करना अच्छा है। 

Beautiful house inside the Dal Lake

डल  लेक में  यहां वहां बिखरे कई ख़ूबसूरत नज़ारे आपको देखने को मिल जाएंगे। कोई फूलों से भरा शिकारा आपके नज़दीक ले आएगा जिसमे मौसमी फूल होंगे, तो कोई हाथ का बना कश्मीरी कालीन बेचना चाहेगा। इनलोगों के लिए डल लेक में शिकारा चलाना बिलकुल वैसा ही है जैसा हमारे लिए सड़क पर कार चलाना। 


 यह था कश्मीर का एक और रंग। आप ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ। 

Flowers will make everyone happy


तब तक के लिए खुश रहिये और घूमते रहिये।
 
 
आपकी हमसफर आपकी दोस्त
 
 
डा० कायनात क़ाज़ी

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