Shedrup-Ling-Monastery
The Great Himalayas Calling…
Day-04 Dhakpo Shedrupling Monastery

इस सीरीज़ की पिछली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें:  दा ग्रेट हिमालयकॉलिंग….तीसरा दिन: कसोल

Dhakpo Shedrupling Monastery
 
 
हमने कसोल से कुल्लू तक की दूरी 10 किलोमीटेर की है जिसे हमने 1 घंटे में पूरा किया. देखा जाए तो कुल्लू शहर मे ऐसा देखने के लिए कुछ खास नही हैं. कुल्लू अपने आप मे एक वैली है, जो की लगभग 80 किमी के दायरे में फैली हुई है. जिसके उत्तर में पीर पंजाल पर्वत श्रंखला है, पूर्व में पार्वती नदी और पश्चिम में बरभंगल पर्वतमाला।
 
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 यहीं से लोग रोहतांग पास जाते हैं जोकि लाहोल वैली और लद्दाख का प्रवेश द्धार है। इस वैली में क्या नहीं है। सुन्दर धवल बर्फ से ढके पहाड़, सीढ़ीदार खेत, फलों और सेब के बागान, पार्वती नदी और पाइन के घने जंगल। पर जितनी भी सुन्दर जगह है वह सभी कुल्लू शहर के आसपास फैली हुई हैं। हमने कुल्लू के पास ही एक सुंदर मोनेस्ट्री-देकपो शेडरूपलिंग मोनेस्ट्री को देखने का फ़ैसला किया. यह मोनेस्ट्री पहाड़ों के बीच बनी एक सुंदर बौद्ध मोनेस्ट्री है जिसके प्रांगण मे एक स्कूल भी है. इस मोनेस्ट्री का उद्घाटन श्री दलाई लामा ने 2005 मे किया था.

 
 
यह मोनेस्ट्री श्री दलाई लामा को समर्पित है. यह ब्यास नदी के किनारे हरे भरे पहाड़ों के बीच बसी हुई है. यह मोनेस्ट्री कुल्लू से मनाली के रास्ते मे नग्गर से पहले पड़ती है.
 
 
 
कुल्लू पहुँचने के लिए आप हिमाचल प्रदेश ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की साइट पर जाकर ऑनलाइन टिकेट बुक करा सकते हैं. इसके लिय यहाँ दिए गए लिंक पर क्लिक करें.
 
 
 
 
फिर मिलेंगे दोस्तों अगले पड़ाव में हिमालय के कुछ अनछुए पहलुओं के साथ,
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
 
 

3 COMMENTS

  1. वाह ! बहुत खूब ! शानदार चित्र ! नन्हे नन्हे बौद्ध भिक्षुओं को देखकर लग रहा है कि प्रकृति ने अपना पूरा रुआब बिखेरा हुआ है !! बहुत सुन्दर कायनात !!

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