पहाड़ों से घिरा एक आध्यात्मिक शहर-नाम्ची सिक्किम
नामची दक्षिणी सिक्किम मे पड़ने वाला एक बेहद हसीन और खूबसूरत शहर है.यह शहर पहाड़ों के बीच बसा है और यह चारों ओर से ख़ूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह समुद्र तल से 1,675 मीटर की ऊंचाई पर है। नामची गंगटोक से लगभग 92 किलोमीटर और सिल्लीगुड़ी से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह एह शांत और पहाड़ों की वादियों मे बसा एक मनमोहक शहर है. इस शहर के नाम के पीछे भी एक कहानी है यह भूटिया भाषा के दो शब्दों से मिल कर बना है नाम्ची। जिस का अर्थ होता है: नम (आकाश) और ची (ऊंचा)। यानि एक ऐसा शहर जोकि आसमान जितनी ऊंचाई पर बसा है। यह छोटा सा शहर प्राकृतिक सुंदरता के अलावा बौद्ध और हिन्दू संप्रदाय के धार्मिक स्थलों के दार्शनिक स्थानों के रूप में हाल ही में विकसित हुआ है। यहाँ देखने के लिए एक से एक दार्शनिक स्थल हैं जैसे:
कंचनजंघा का अद्भुत द्रश्य
यहाँ से कंचनजंघा की बर्फ से ढ़की पहाड़ियाँ मौसम साफ होने पर बहुत आसानी से देखी जा सकती हैं. यह द्रश्य बहुत मनोरम है।
गुरु रिमपोचे की विश्व मे सबसे ऊंची प्रतिमा
नामची बौद्ध लोगों के लिए एक विशेष धार्मिक स्थल का दर्जा रखता है. यहाँ सिक्किम के संरक्षक माने जाने वाले गुरु रोंपोचे की 36 मीटर उँची प्रतिमा है.जोकि विश्व मे पहले नबर पर आती है. इस प्रतिमा की नींव का पत्थर अक्टूबर 1 997 में दलाई लामा द्वारा रखा गया था। इस मूर्ति को पूरा करने में लगभग तीन साल लग गए।
चार धाम
सिक्किम पर्यटन विभाग द्वारा हाल ही में विकसित इस अनोखी पिलग्रिम सेंटर में 108 फीट ऊँचाई का एक मुख्य मंदिर है, जिस पर सोलोफोक हिल पर बैठे आसन पर भगवान शिव की 87 फीट ऊंची प्रतिमा है। भगवान शिव की सैकड़ों फुट ऊंची प्रतिमा यहाँ का मुख्य आकर्षण है। शिव मूर्ति के अलावा, इस तीर्थयात्री केंद्र में बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां भी हैं, जो शिव भक्तों के लिए एक मंच प्रदान करते हैं। यह अपने आप में चार धाम का मिनी रूप है। यहाँ वर्ष भर लोग इसे देखने आते हैं।
रॉक गार्डन
नामची का रॉक गार्डन नामची टाउन और संदुपचे के बीच स्थित है। इस उद्यान में पौधों, फूलों और पेड़ों की विभिन्न प्रजातियां हैं। यहां फुटपाथ के साथ कई शेड, दृश्य और जल निकाय हैं। उद्यान में पहाड़ियों को देखते हुए कॉफी का आनंद लेने के लिए एक कैफेटेरिया है यहाँ यात्रियों के लिए चाय और कॉफी की सुविधा उपलब्ध है। यह एक खूबसूरत रॉक गार्डन है।
साईं बाबा का सुनहरा मंदिर
नामची में साईं बाबा का सुनहरा मंदिर कला और शांति की सजीव कृति जैसा है। यह पहाड़ों के बीच में बनाया गया है। मंदिर की वास्तुकला इतनी सुंदरता से किया गया है कि इस जगह को देखे बिना आपकी नाम्ची की यात्रा अधूरी रह जाएगी।
बौद्ध मठ
नामची बोध लोगों के लिए इसलिए भी बहुत महत्व रखता है क्यूंकी यहाँ बहुत खूबसूरत मोनेस्ट्री हैं. जैसे रलांग मोनेस्ट्री, नामची मोनॅस्ट्री और नगदक मोनॅस्ट्री.
नगदक मठ – एक पुराना मठ है, जो चोग्या गुर्मेड नामग्याल शासन के दौरान तेंगसुंग नामग्याल द्वारा बनाया गया था। यह मठ, नगाक टाउन के पास स्थित है और पर्यटकों को वर्ष भर आकर्षित करती है।
मनाम वन्यजीव अभ्यारण्य
मनाम वन्यजीव अभ्यारण्य औषधि का एक खजानाहै, क्योंकि यह औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का विशाल भंडार है। यह 36.34 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है और यह माइनम-तेंदोंग रिज पर स्थित है जो उत्तर से दक्षिण तक चलता है, और सिक्किम के लगभग दो हिस्सों को जोड़ता है। यह अभयारण्य समुद्र तल से लगभग 10,600 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ कई दुर्लभ वन्य प्राणी पाए जाते हैं जैसे : लाल पांडा, गौल, सर्व, बार्किंग हिरण, मारबल्ड-कैट, तेंदुए-बिल्ली, सिनेट-बिल्लियां, रक्त तीतर, सामान्य पहाड़ी आर्ट्रिज, मैगपीज, ब्लैक ईगल आदि
टेमी टी स्टेट
सिक्किम में तेमी टी एस्टेट एक मात्र चाय बाग़ है, जिसे भारत और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ चाय बागान के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह जगह टीटोटलर्स के लिए एक स्वर्ग के रूप में माना जाता है क्योंकि पर्यटक कुछ बेहतरीन चाय के प्रकारों को यहाँ आकर टेस्ट कर सकते हैं। यहाँ से 100% शुद्ध अकार्बनिक चाय खरीदी जा सकती है। इस चाय बागान से होकर गुज़ारना भी एक अनोखा अनुभव है।
रवंगला का बुद्धा पार्क
यह बौद्ध संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ भगवान बुद्ध की 130 फ़ीट ऊँची प्रतिमा स्थित है। यह प्रतिमा दूर से ही नज़र आ जाती है। इसे वर्ष 2013 में भगवान बुद्ध के 2550वी जयंती के उपलक्ष्य में बनाया गया था। जिसकी स्थापना दलाई लाम्बा द्वारा की गई थी। आज यह स्थान हिमालयन बौद्ध सर्किट के एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में जाना जाता है। रवंगला का बुद्धा पार्क नाम्ची शहर से 27 किलोमीटर दूर पहाड़ों में स्थित है। और यहाँ तक पहुँचने का पहाड़ी घुमावदार रास्ता बहुत रमणीक है।
सिक्किम के व्यंजन
अंगूठे के आकार का यह राज्य पश्चिम में नेपाल, उत्तर तथा पूर्व में चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तथा दक्षिण-पूर्व में भूटान से लगा हुआ है। भारत का पश्चिम बंगाल राज्य इसके दक्षिण में है। इसलिए यहाँ कई संप्रदाय और संस्कृतियों का मेल देखने को मिलता है। यहाँ कई जनजातीय भी पाई जाती हैं जैसे लेपचा, भूटिया, नेपाली व अन्य। इन सभी का मिला जुला प्रभाव सिक्किम के खानो पर पड़ा है। जिसमें मोमो, थुपका, याक के दूध से बना चीज़, फगशापा और गुन्द्रुक।
शॉपिंग
सिक्किम से चाइना का बॉर्डर लगा हुआ है। गंगटोक से थोड़ा ऊपर नाथूला बॉर्डर से हमारे व्यापारिक आदान प्रदान होता है इसलिए सिक्किम में चाइना का सामान बहुत आसानी से अच्छे दामों पर मिलता है। यहाँ भूटिया लोग अपने हाथों से गर्म कपड़े बनाते हैं। यहाँ से गर्म कपड़े, लोकल क्राफ्ट और सेरेमिक के बर्तन ख़रीदे हैं।
आप ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ, भारत के कोने-कोने में छुपे अनमोल ख़ज़ानों में से किसी और दास्तान के साथ हम फिर रूबरू होंगे। तब तक खुश रहिये और घूमते रहिये।
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
mam such a nice article about Namchi, Very Enlightening and fresh.Beautiful picture of Namchi.
thanks and regards
thanks Sudhanshu