मैकलॉडगंज-हिमाचल प्रदेश 

Mcleodganj, Dharamshala, Himachal Pradesh

 
Budha Statue, Gyuto Karmapa Temple
 
हिमाचल प्रदेश को आप हिमालय का पैरहन कह सकते हैं। यह दा ग्रेट हिमालय की सबसे नई पहाड़ियों को खुद में समेटे हुए है। यह 55,673वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। हिमाचल प्रदेश नैसर्गिक सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक  है। यह एक ऐसा प्रदेश है जहाँ वर्ष में किसी भी समय जाया जा सकता है हर मौसम का अपना अलग रूप और रंग है। हिमाचल प्रदेश इतना बड़ा और विविधता लिए हुए है कि एक बार में पूरा नहीं देखा जा सकता है। पर्यटन के लिहाज़ से और लोगों की आसानी के लिए हिमाचल के अलग-अलग अंचलों को सर्किट में बांटा गया है। यह सर्किट हैं :
 
Himachal Pradesh- Tourism circuits 
 
Source:hptdc.nic.in
 
 
ब्यास सर्किट :  जैसे कुल्लू और मनाली
 
Important Places in The Beas circuit: Swarghat – Bilaspur – Mandi – Rewalsar – Kullu – Manali – Rohtang – Naggar – Manikaran
 
धौलाधार सर्किट : जैसे धर्मशाला और मैकलॉडगंज, डलहौज़ी, चम्बा, पालमपुर
 
  Important Places in The Dhauladhar circuit: Chintpurni – Jwalamukhi – Kangra – Dalhousie – Khajjiar – Chamba – Dharamsala – Chamunda – Palampur – Jogindernagar 
 
सतलुज सर्किट:  जैसे परवाणू, कसौली, सोलन, चैल 
 
Important Places in The Satluj circuit: – Parwanoo – Kasauli- Barog – Solan – Chail – Hatkoti – Rampur – Sarahan – Narkanda – Naldehra – Tattapani – Shimla – Kiarighat –  Renuka, Paonta Sahib and Nahan
 
ट्राइबल सर्किट: केलांगकाज़ा, रोहतांग पास
 
 Important Places in The Tribal circuit: Shimla – Sarahan – Sangla – Kalpa – Nako – Tabo – Dhankar – Pin Vally – Kaza – Losar – Kunzum – Koksar – Sissu – Tandi – Udaipur – Trilokpur – Rohtang Pass – Manali 
 
Dhauladhar Peak
 
 
हम पिछली बार ब्यास सर्किट घूम चुके हैं, इस बार हम धौलाधार सर्किट की यात्रा करेंगे। इस सर्किट में सबसे पहले हम जाएंगे मैकलॉडगंज (MCLEODGANJ) मैकलॉडगंज धर्मशाला से लगा हुआ एक क़स्बा है। यह हिमाचल के काँगड़ा जनपद में आता है। दिल्ली से मैकलॉडगंज जाने के लिए हमने रात को ड्राइव किया। आप हिमाचल राज्य परिवाहन की बस ले सकते हैं। इस रुट पर बहुत सी वॉल्वो चलती हैं। दिल्ली से मैकलॉडगंज 492 किलोमीटर दूर है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग एक से बड़ी आसानी से कवर किया जा सकता है। पंजाब निकलते ही हमने जैसे ही हिमाचल में प्रवेश किया दूरदूर तक फैले देवदार के पेड़ों और हिमालय पर्वत श्रृंखला की ऊंची-नीची चोटियां और उनके ऊपर जमकर पिघल चुकी बर्फ के निशानो ने हमारा स्वागत किया। बड़ी बड़ी चट्टानों पर फैले चीड़ और देवदार के हरे-भरे जंगल किसी का भी मन मोह लेंगे।
 
Monk
 
 
धर्मशाला से 9किमी दूर, समुद्र तल से 1830मीटर की ऊंचाई पर स्थित मेकलॉडगंज एक छोटा-सा कस्बा है। यहाँ हर जगह आपको तिब्बती लोग मिल जाएंगे, तिब्बती लोगों के धर्म गुरु दलाई लामा का वर्तमान में निवास यही है। इसलिए भी शायद इस जगह को मिनी ल्हासा कहा जाता है।
 

दलाई लामा मंदिर

Prayer Wheels
 
यहां दुकानें, रेस्तरां, होटल और सड़क किनारे लगने वाले बाजार सब कुछ हैं। गर्मी के मौसम में भी यहां खासी ठंडक रहती है। यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण दलाई लामा का मंदिर है जहां शाक्य मुनि, अवलोकितेश्वर एवं पद्मसंभव की मूर्तियां विराजमान हैं। हमने सबसे पहले वही जाने का प्लान बनाया। यह मंदिर मुख्य बाजार से थोड़ीसी दूरी पर ही है। ऊंचाई पर बना यह मंदिर हमेशा सैलानियों से भरा रहता है। पर यहां अंदर कैमरा लेजाने की मनाही है। हमने मंदिर के बहार से ही घाटी की तस्वीरें खींची। देवदार के जंगल नीचे दूर तक फैले हुए थे। जिनके आगे बादल भी छोटे जान पड़ते थे। रुई के फायों की तरह उड़ते बादलों को इन पेड़ों ने जैसे ज़बरदस्ती थाम रखा हो। दलाई लामा के मंदिर से सनसेट का नजारा देखना अपने आप में अद्भुत होता है। यह दृश्य देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यहां आने वाले सैलानी यहां शाम के समय तक जरूर रुकते हैं। यहां से धौलाधार पीक का नज़ारा बहुत शानदार दीखता है।

भागसूनाग मंदिर और झरना

Bhagsu water fall, McLeod Ganj.
 
मेकलॉडगंज के आस-पास बने मंदिर लोगों को खासे आकर्षित करते हैं। यहां से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है भागसूनाग मंदिर। यह भव्य तो नहीं लेकिन प्रसिद्ध जरूर है। स्थानीय लोग दिखावे में यकीन नहीं करते इसलिए इसे ज्यादा चमकाया नहीं गया। कई दूसरे मंदिर भी हैं जहां सैलानी दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं। हमने एक नज़र मंदिर पर डाली और भागसूनाग झरने की और रुख किया। मंदिर के आगे एक पतला रास्ता भागसूनाग झरने की ओर जाता है।
 
way to Bhagsu water fall, McLeod Ganj.
 
 उस पतले रस्ते पर चलते हुए हम एक घाटी में पहुंच गए जहां दूर एक सुन्दर झरना बह रहा था। उस झरने तक पहुंचने के लिए पहाड़ को काट कर पतली पगडण्डी बनाई गई है। हम लगभग 15 मिनट के बाद झरने के बहुत नज़दीक पहुंच गए। इसका पानी एकदम निर्मल और ठंडक भरा हुआ था। यहां लोग घंटों पत्थरों पर बैठकर झरने की फुहारों का आनंद लेते हैं। यहां नज़दीक में ही एक चाय की दुकान है, झरने की ठंडी फुहार के साथ चाय की चुस्कियों का अपना अलग ही आनंद है।

ग्युटो तान्त्रिक मॉनेस्ट्री-Gyuto Karmapa Temple

Gyuto Karmapa Temple
 
ग्युटो तान्त्रिक मॉनेस्ट्री मैक्लॉडगंज से 16किमी पहले पड़ती है। यहां भारत और तिब्बत की संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। तिब्बती संस्कृति और सभ्यता को प्रदर्शित करता एक पुस्तकालय भी स्थित है। इस मोनेस्ट्री में महात्मा बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा है।


सेंट जॉन चर्च-St. John in the Wilderness

St. John in the Wilderness-McLeod Ganj
 
मेक्लॉयड गंज के रस्ते में पड़ने वाला सेंट जॉन चर्च सन 1852में बना था.काले पत्थर की बनी यह नियो गोथिक स्टाइल की बिल्डिंग इतनी मज़बूत है कि भूकम्प भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाए हैं। यहां बहुत शांति फैली हुई थी।
यहां घूमने आने के लिए कम से कम दो-तीन दिन का समय निकालकर जरूर आएं, ताकि आप प्रकृति की गोद में बैठकर शांति का अनुभव कर सकें। दूर-दूर तक फैली हरियाली और पहाड़ियों के बीच बने पतले, ऊंचे-नीचे व घुमावदार रास्ते ट्रैकिंग के लिए आकर्षित करते हैं। यहां पास ही बहुत सरे ट्रेक्किंग स्पॉट्स हैं। लोग एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे पैराग्लाइडिंग, पैरासेलिंग आदि के लिए यही नज़दीक ही बीड नामक स्थान पर आते हैं।
पहाड़ी रास्तों पर आप बाइकिंग का मजा लेना चाहते हैं तो आपको यहां किराए पर मोटर साइकिल मिल जाएगी। मार्च से जुलाई के बीच यहां ज्यादा संख्या में सैलानी आते हैं। इन दिनों यहां का मौसम बेहद सुकून भरा होता है।
 

मैक्लॉडगंज मुख्य बाजार 

 
Main Street, McLeod Ganj
 
अगर आप शॉपिंग के शौक़ीन है तो मैक्लॉडगंज के मुख्य बाजार  ज़रूर जाएं। यहाँ बहुत सारे तिब्बती लोग हाथ के बने गर्म कपडे बेचते हैं। यहां पर केम्पिंग और  ट्रेक्किंग का सामान बड़ी आसानी से मिल जाता है। इस बाजार में ही कुछ बेहतरीन कैफ़े भी मौजूद हैं। जहां आप तिब्बतियन खाने का मज़ा उठा सकते हैं। यहां कई अच्छी बेकरी भी हैं। जैसे :
Woeser Bakery
Nick’s Italian Kitchen
Taste Of India
 
यहां के बाजार में रोड साइड फ्राइड मोमो जरूर ट्राई करें। 
 
Main Street, McLeod Ganj

कैसे पहुंचे:

दिल्ली से मैकलॉडगंज की दूरी लगभग 492  किलो मीटर है। रेल गाड़ी से आने वालों को पठानकोट से सड़क मार्ग चुनना पड़ता है। बस और टैक्सी यहां से आसानी से मिल जाती हैं। सड़क मार्ग से जाने वाले चंडीगढ़ होते हुए सीधे धर्मशाला और वहां से मेकलॉडगंज पहुंच सकते हैं। हवाई जहाज से जाने के लिए नज़दीकी एयरपोर्ट गगल है जोकि धर्मशाला से 15 किमी दूर है।

कहां ठहरें:

यहां ठहरने की भी कोई समस्या नहीं है। हर बजट के होटल और गेस्ट हाउस मौजूद हैं। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटलों में भी पहले से बुकिंग कराई जा सकती है। हां, गर्मी के मौसम में कमरों का किराया कुछ बढ़ जाता है। बाकी साल भर कम दामों पर ही बुकिंग होती है।

कब जाएं:  

Best time
मार्च से जून
सितम्बर से नवंबर
 
फिर मिलेंगे दोस्तों, अगले पड़ाव में हिमालय के कुछ अनछुए पहलुओं के साथ,
 
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
 
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
 
 
 
 
डा० कायनात क़ाज़ी
 

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