Chashme Shahi |
Chashm-e-Shahi |
यहां मुगलों ने पर्शियन आर्किटेक्चर के हिसाब से टेरेस गार्डेन्स बनवाए। जिनमे मशहूर मुगल गार्डेन्स हैं; चश्मे शाही, निशात बाग, शालीमार बाग और परी महल। इन सभी गार्डेन्स की ख़ासियत है इन मे प्रयोग हुए प्राकृतिक जल स्त्रोत। ज़बरवान पहाड़ों के आंचल मे बने यह टेरेस गार्डेन्स सजाए गए हैं इनके बीच बहने वाली नहरों से। यह पानी के सोते अविरल बहते हुए इन बागों को सुंदरता प्रदान करते हैं और आगे जाकर डल झील मे मिल जाते हैं। यह पहाड़ी सोते जहां एक ओर इन बागों की सुदरता को गति प्रदान कर सजीव बनाते हैं वहीं डल झील मे मिलकर झील के पानी को निरंतर फ्रेश पानी पहुंचाते हैं। डल झील से होता हुआ यह पानी आगे जाकर झेलम नदी मे पहुंचता है। मुगलों द्वारा प्राकृतिक जल संसाधनों का इतना परभावी उपयोग सराहनीय है। यह अपने आप मे एक ईको सिस्टम है, जिससे ना जाने कितने अनगिनत जीव जन्तु, पशु पक्षी लाभान्वित हो रहे हैं। पर्शियन आर्किटेक्चर पर स्लामिक आर्किटेक्चर का प्रभाव प्रमुखता से देखने को मिलता है।
Royal Spring |
Pari Mahal |
Pari Mahal |
यहां पर लोग कश्मीरी ड्रेस मे फोटो खिंचवा रहे थे। चश्मे शाही के गेट से ही दाईं ओर से परी महल को रास्ता जाता है। चश्मे शाही से लगभग 3 किलोमीटर दूर पहाड़ की चड़ाई पार करने के बाद परी महल बना हुआ है। इसका निर्माण मुग़ल शहज़ादे दारा शिकोह ने करवाया था। और यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि मुग़ल शहज़ादे दाराशिकोह को सितारों और ग्रहों में बहुत दिलचस्पी थी। और यह स्मारक ज्योतिष और खगोल विज्ञान के स्कूल के लिए बनाया गया था। ऊंचाई पर बने होने के कारण इसका प्रयोग पूरे श्रीनगर पर नज़र रखने के लिए भी किया जाता था। यह दुर्ग 12 टेरेस मे बना हुआ ही। यहां से पूरी डल लेक दिखाई देती है।
Panoramic View of Dal Lake from Pari Mahal |
Nishat Bagh |
निशात बाग़ फ़ारसी का शब्द है जिसका अर्थ होता है, एक ऐसा बाग़ जहां जाकर ख़ुशी मिले, और वास्तविकता में भी वहां जाकर हमें ख़ुशी का अनुभव हुआ भी। इस बाग़ को मुग़ल मलिका नूर जहां के बड़े भाई अब्दुल हसन आसिफ खान ने सन् 1634 में मुग़ल बादशाह जहांगीर के काल में बनवाया था। निशात बाग़ देखने के लिए आपको टिकट लेना होगा। यहां पर स्थानीए लोगो की बहुत भीड़ है। कश्मीरी लोग गर्मियों के 6 महीनों को बहुत एंजाय करते हैं। सभी पिकनिक के मूड मे नज़र आते हैं। कश्मीरी लोग निशात गार्डेन मे बने बड़े-बड़े बग़ीचों मे पूरे परिवार के साथ पिकनिक माना रहे थे। कश्मीरी महिलाऐं अपने घरों से ही खाने पका कर लाई थीं और साथ ही स्टोव भी लाई थीं। जिन पर खाना गर्म करके खिलाया जा रहा था।
Kashmiri girl@Nishat Bagh |
बच्चे निशात बाग़ मे बनी नहरों मे पानी से खेल रहे थे। पानी के इन छोटे बड़े होज़ मे बच्चों को पानी से अटखेलियां करता देख कर मुझे अहसास हुआ कि यह तो उस ज़माने के वॉटर पार्क रहे होंगे। जिनको मुगलों ने अपने सैर सपाटे के लिए बनवाया होगा।
अगर आप डल लेक मे सनसेट की तस्वीर लेना चाहते हैं तो निशात बाग़ के सामने बने घाट से शाम के वक़्त शिकारा राइड लें। यहां से सनसेट का नज़ारा बहुत खूबसूरत आता है।
Spring@Nishat Bagh |
Shalimar Garden |
कोई कोई पेड़ तो 400 साल पुराना है। इस बाग़ की ख़ूबसूरती शब्दों में ब्यान नहीं की जा सकती है। इस जगह की खूबसूरती को कैमरे में क़ैद करने के बाद भी मेरा मन कर रहा था कि काश के मैं इसका एक छोटा-सा टुकड़ा अपने साथ ले जा सकती। मैंने ज़मीं पर पड़े ज़र्द चिनार के पत्ते को उठा कर अपनी किताब में रख लिया और सोचा कि अपने साथ यहां की कुछ यादें तो मैं लेजा ही सकती हूं। शालीमार गार्डन के बाहर भी काफी सारी दुकानें हैं जहां से आप सोविनियर खरीद सकते हैं। मैंने भी पश्मीना की शॉल खरीदी जिस पर चिनार की पत्तियां बनी हुई थीं।
Chinar leafs |
आज का दिन मुग़लों वाले कश्मीर को देखने में कब गुज़र गया पता ही नहीं चला। पर यह तो कश्मीर का सिर्फ एक रंग है। अभी बहुत कुछ बाक़ी है। कल हम जाएंगे डाउन टाउन कश्मीर। हमारे देश में आए सूफ़ीज़्म की जड़ें तलाशने।